लगता है कि मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक की परीक्षा ले रही है। सरकार की तरफ से बुधवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में सकल मुद्रास्फीति की दर पिछले पांच महीनों से घटते-घटते अचानक बढ़ गई। जनवरी में इसकी दर 26 महीनों के न्यूनतम स्तर 6.55 फीसदी पर पहुंच गई थी। लेकिन फरवरी में बढ़कर 6.95 फीसदी पर पहुंचा गई। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भरोसा जताया है कि चालू मार्च में यह 6.50 फीसदी पर आ जाएगी। लेकिन पिछले हफ्ते सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) में 0.75 फीसदी की अनपेक्षित कटौती के बाद ब्याज दर में भी 0.25 कमी लाने का मन बना चुके रिजर्व बैंक के कदम शायद अब थम जाएंगे।
वैसे, बहुत मुमकिन है कि ऐसा न हो। कारण, फरवरी में थोक मूल्य सूचकांक में 64.97 फीसदी का योगदान रखनेवाले मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों की मुद्रास्फीति जनवरी के 6.49 फीसदी से घटकर फरवरी में 5.75 फीसदी पर आ गई है और रिजर्व बैंक नीतिगत दरों के निर्धारण में खाद्य व ईंधन वर्ग के बजाय मैन्यूफैक्चर्ड वस्तुओं की महंगाई को ज्यादा तवज्जो देता है।
मुंबई में कार्यरत यस बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री सुभदा राव कहती हैं कि जिस मुख्य रुझान को पकड़ने की जरूरत है, वह है मूल (मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों की) मुद्रास्फीति और फिलहाल उसकी स्थिति मौद्रिक नीति के लिहाज से सकारात्मक है। उनका मानना है कि रिजर्व बैंक कल, शुक्रवार को मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा में रेपो दर को चौथाई फीसदी घटाकर 8.50 फीसदी से 8.25 फीसदी पर ले आएगा।
बहुत सारे अन्य विश्लेषकों की भी यही राय है। लेकिन अतीत की तरह अंतिम फैसला रिजर्व बैंक के गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव के रुख पर निर्भर करता है। वैसे, पिछले दिनों सुब्बाराव ने भी साफ संकेत दिया है कि मुद्रास्फीति पर अपेक्षित नियंत्रण पा लिया गया है और विकास को गति देना अब उनकी प्राथमिकता है। इसलिए रेपो दर में 0.25 फीसदी कमी के पक्के आसार है। हालांकि बहुत सारे विद्वानों का कहना है कि सुब्बाराव ठंडी चाल में यकीन रखते हैं और वे ब्याज दर में किसी भी कमी से पहले देखना चाहेंगे कि सरकार बजट में बाजार से कितना उधार जुटाने का लक्ष्य रखती है।
फिलहाल, वित्तीय बाजार भी मानकर चल रहा है कि रिजर्व बैंक कल रेपो दर में कमी करेगा। यही वजह है कि शुक्रवार को दस सालों के सरकारी बांड पर यील्ड की दर सात आधार अंक घटकर 8.28 फीसदी पर आ गई। क्रेडिट सुइस ने बुधवार को जारी नोट में कहा है, “हम इस बात पर दृढ़ता से कायम हैं कि रेपो दर में 25 आधार अंकों की कमी की जा सकती है।” बता दें कि रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर बैंक रिजर्व बैंक ने अपनी तरलता जरूरत को पूरा करने के लिए तात्कालिक उधार लेते हैं। इस समय बैंक हर दिन काफी रकम रिजर्व बैंक की चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत उधार ले रहे हैं। जैसे, आज ही उन्होंने रिजर्व बैंक से 1,24,855 करोड़ रुपए का उधार लिया है।