नहीं पता कि यह हमारे वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर की आदत में शुमार है या उनको हिदायत दी गई है, लेकिन वे किसी महीने के निर्यात के आंकड़ों की औपचारिक घोषणा से करीब 15 दिन पहले ही उनकी घोषणा कर देते हैं, इस डिस्क्लेमर के साथ कि यह मोटामोटी अनुमान है और अंतिम आंकड़े भिन्न हो सकते हैं। 16 जनवरी को उन्होंने दिसंबर 2011 तक के निर्यात आंकड़े बताए थे, जबकि औपचारिक घोषणा 1 फरवरी को हुई और दोनों आंकड़ों में कोई फर्क नहीं था। दिसंबर 2011 में निर्यात 6.7 फीसदी बढ़ा था।
आज, गुरुवार को उन्होंने बता दिया कि देश का निर्यात जनवरी महीने में 10.1 फीसदी बढ़कर 25.4 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात में 20.3 फीसदी बढ़कर 40.1 अरब डॉलर पर पहुंच गया। उनका कहना था कि पश्चिमी बाजारों की कमजोर मांग के बावजूद जनवरी में निर्यात में अच्छी वृद्धि हुई है। महंगे कच्चे तेल और वनस्पति तेल की वजह से माह के दौरान आयात बढ़ गया है। जनवरी के दौरान हमारा व्यापार घाटा 14.7 अरब डॉलर रहा है।
खुल्लर ने कहा कि अमेरिका और यूरोप में समस्या के कारण निश्चित रूप से देश का निर्यात प्रभावित हो रहा है। जुलाई 2011 में निर्यात की वृद्धि दर 82 फीसदी की ऊंचाई पर पहुंच गई थी। अगस्त, 2011 में यह घटकर 44.25 फीसदी रह गई, जबकि सितंबर में 36.36 फीसदी और अक्टूबर में 10.8 फीसदी पर आ गई।
वित्त वर्ष 2011-12 में अप्रैल-जनवरी की अवधि में निर्यात 23.5 फीसदी बढ़कर 242.8 अरब डॉलर और आयात 29.4 फीसदी बढ़कर 391.5 अरब डॉलर रहा। इन दस महीनों का व्यापार घाटा 148.7 अरब डॉलर रहा। खुल्लर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘चालू वित्त वर्ष में निर्यात 300 अरब डॉलर रहने की उम्मीद है, जबकि आयात 460 अरब डॉलर का रहेगा। इस तरह वित्त वर्ष के दौरान व्यापार घाटा 160 अरब डॉलर का होगा।’’ उन्होंने कहा कि कच्चे तेल और वनस्पति तेल की ऊंची कीमतों की वजह से व्यापार घाटा ज्यादा है। पर अगले दो महीनों में यह कम हो जाएगा। लेकिन उन्होंने कहा कि 2012-13 का साल निर्यातकों के लिए कठिन रहेगा।