इस समय देश में बेईमानों को बोलबाला है। जो सत्ता का जितना बड़ा दलाल है, जितना ज्यादा दंद-फंद, छक्का-पंजा करता है वो उतना ही बड़ा रईस व कामयाब है। वित्तीय क्षेत्र में तो लगता है कि सेवाएं देने के बजाय सभी सेवाएं लेनेवालों के शिकार पर निकले हैं। इस बात को समझना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि आज 12 अक्टूबर को विश्व निवेशक सप्ताह का आखिरी दिन है जिसके अंतिम संदेश में कहा गया है कि रिस्क को संभालने और मुद्रास्फीति के असर को कम करने के लिए ऐसी रणनीति बनाएं ताकि जीवन की अप्रत्याशित या आकस्मिक चुनौतियों से निपटने का इंतजाम हो जाए। आकस्मिक चुनौतियों से निपटने का एक तरीका जीवन बीमा है। माना जाता है कि परिवार में कमानेवाला सदस्य साल भर में जितना कमाता है, उसका कम से कम दस गुना जीवन बीमा कवर होना चाहिए। दस लाख सालाना आय तो एक करोड़ का कवर। लेकिन अपने यहां जीवन बीमा कंपनियों ने यूलिप में सालाना आय नहीं, बल्कि प्रीमियम के दस गुना कवर का प्रावधान रखा है। नियामक संस्था व सरकार को इस पर कोई आपत्ति नहीं। फिर भी अच्छी बात यह है कि देश के वित्तीय जगत में ईमानदारी से बिजनेस करनेवाली कंपनियां भी हैं। तथास्तु में ऐसी ही एक कंपनी…
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