शेयर बाज़ार अंततः अर्थव्यवस्था की छाया होता है। अर्थव्यवस्था काम की आर्थिक नीतियों से मजबूत बनती है। काम की आर्थिक नीतियां तब बनती हैं जब वे ज़मीनी हकीकत पर आधारित होती हैं। लेकिन अपने यहां विचित्र स्थिति है क्योंकि काम की नहीं, नाम की आर्थिक नीतियां बनाई जा रही हैं। हमारे वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार, 31 मार्च को नई विदेश व्यापार नीति घोषित की। इसके दो दिन पहले ही विश्व बैंक की रिपोर्ट आई थी कि 2023 से 2030 के बीच विश्व की औसत विकास दर 30 साल के न्यूनतम स्तर 2.2% सालाना पर आ सकती है। जाहिर है कि विश्व अर्थव्यवस्था कम बढ़ेगी तो भारत का निर्यात भी घट जाएगा। लेकिन पीयूष गोयल ने पुराना ही लक्ष्य दोहराते हुए दावा किया कि 2030 तक हमारा निर्यात 2000 अरब डॉलर या 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। कैसे? 2022-23 में बहुत हुआ तो इसके 760 अरब डॉलर होने का अनुमान है। अब सोमवार का व्योम…
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