सपना आसमान का, सच्चाई पाताल की

शिक्षा का स्तर बढ़ने से श्रम भागीदारी की दर बढ़ जाती है। लेकिन इसी के साथ बेरोज़गारी की दर भी बढ़ती जाती है। मसलन, 5वीं तक पढ़े लोगों में बेरोज़गारी की दर महज 1% है, जबकि उनकी श्रम भागीदारी दर 30% है। छठीं से नौवीं तक पढ़े लोगों की श्रम भागीदारी 37.6% और बेरोजगारी 2% से कम है। जो 10वीं से 12वीं तक पढ़े हैं, उनकी श्रम भागीदारी 40% और बेरोज़गारी 10.9% है। ग्रेजुएट्स की श्रम भागीदारी दर सबसे ज्यादा 62.5% है, लेकिन उनमें बेरोजगारी की दर भी सबसे ज्यादा 17.2% है। होना यह चाहिए और यह आम धारणा भी है कि आप जितना ज्यादा पढ़ लेते हो, आपको नौकरी मिलने की संभावना उतनी ज्यादा बढ़ जाती है। अमेरिका जैसे विकसित देश में यही होता है। वहां शिक्षा का स्तर बढ़ते ही बेरोजगारी की दर घटने लगती है। सामान्य नियम भी यही है। लेकिन विकसित देश बनने का सपना देख रहे भारत में उलटी स्थिति है। अब बुधवार की बुद्धि…

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