डाई अमीन्स एंड केमिकल्स वडोदरा की कंपनी है। 1982 से विशिष्ट किस्म के रसायन बना रही है। देश के इथाइल अमीन्स के संगठित बाजार की वह इकलौती खिलाड़ी है। इथाइल अमीन्स के एक सेगमेंट पिपराज़ाइन के घरेलू बाजार का लगभग 40 फीसदी हिस्सा उसके कब्जे में है। बहुत सारे उत्पाद उसने देश में पहली बार बनाकर बाजार में उतारे हैं। इस समय वह करीब 20 रसायन बनाती है जिनकी मुख्य खपत दवा उद्योग में होती है। कंपनी देश के अलावा विदेशी बाजार में भी अपना माल बेचती है। उसकी उत्पादन इकाई के पास में ही इनलैंड कंटेनर डिपो है और वहां से मुंबई मात्र 400 किलोमीटर दूर है तो कंपनी आराम से समुद्र के रास्ते अपना माल निर्यात करती है।
डाई अमीन्स एंड केमिकल्स के बारे में हमने पहली बार अपने चक्री स्तंभ में सरसरी तौर पर 26 मई 2011 को लिखा था। तब इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर बोनस की हवा में चढ़कर 95 रुपए के आसपास डोल रहा था। उसके बाद 21 जुलाई 2011 को कंपनी ने दो पर एक शेयर का बोनस दे दिया। इसलिए 26 मई का समायोजित भाव 63 रुपए निकलता है। फिर भी समायोजित स्तर पर यह 19 जुलाई 2011 को 87 रुपए तक चला गया। लेकिन ठीक पांच महीने बाद 19 दिसंबर 2011 को इसने 41 रुपए की तलहटी पकड़ ली। उसके बाद करीब 21 फीसदी बढ़ चुका है। शुक्रवार, 20 जनवरी 2012 को बीएसई (कोड – 500120) में 49.60 रुपए पर बंद हुआ है। कंपनी एनएसई में लिस्टेड नहीं है।
कंपनी का धंधा पिछले दिनों जबरदस्त उतार-चढ़ाव से गुजरा है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसने 82.99 करोड़ रुपए की बिक्री पर 14.71 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। चालू वित्त वर्ष 2011-12 की जून तिमाही में उसकी बिक्री 53.05 फीसदी बढ़कर 24.09 करोड़ हो गई तो शुद्ध लाभ 79.49 फीसदी बढ़कर 4.20 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। लेकिन सितंबर तिमाही में बिक्री साल भर पहले की समान अवधि की तुलना में 22.12 फीसदी घटकर 16.78 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 74.66 फीसदी घटकर 1.48 करोड़ रुपए पर आ गया। कंपनी कुछ दिनों में दिसंबर तिमाही के नतीजे घोषित करनेवाली है, जिसके अच्छा रहने की उम्मीद में शेयर को फिर से खींचा जा रहा है।
यह स्मॉल कैप कंपनी है। इक्विटी पूंजी 1:2 के बोनस के बाद भी 9.78 करोड़ रुपए है। उसका बाजार पूंजीकरण केवल 48 करोड़ रुपए यानी बिक्री का लगभग आधा। छोटे पूंजी आधार के कारण कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) अभी 12.48 रुपए है और इस तरह उसका शेयर केवल 3.97 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। आपको यकीन नहीं आएगा कि दो साल पहले जनवरी 2010 में यह 48.20 तक के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो चुका है। ब्रोकरेज फर्म एडेलवाइस के डाटाबैंक के मुताबिक कंपनी का नियोजित पूंजी पर रिटर्न 49.13 फीसदी और नेटवर्थ पर रिटर्न 60.27 फीसदी है। निश्चित रूप से कंपनी और उसके धंधे में संभावनाएं हैं।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिसर्च शाखा की एक रिपोर्ट के मुताबिक इथाइल अमीन्स का विश्व बाजार 2014 तक 4 फीसदी सालाना की चक्रवृद्धि दर से बढ़कर 4.70 लाख टन हो जाने की उम्मीद है। इस वृद्धि में मुख्य योगदान भारत व चीन का रहेगा। भारत में इथाइल अमीन्स का बाजार अगले कुछ सालों में 8 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। डाई अमीन्स इस धंधे में देश की इकलौती प्रमुख खिलाड़ी है तो उसे इसका स्पष्ट लाभ मिलेगा। क्रिसिल रिचर्च का आकलन है कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में कंपनी की बिक्री 90.9 करोड़ रुपए और ईपीएस 13 रुपए रहेगा। अगले वित्त वर्ष 2012-13 में बिक्री 109.9 करोड़ रुपए हो जाएगी और कच्चे माल की लागत बढ़ने के बावजूद ईपीएस 14.8 रुपए रहेगा। क्रिसिल ने इस शेयर का वाजिब मूल्य 98 रुपए आंका है। इतना नहीं तो साल भर में यह 70 रुपए तक तो पहुंच ही सकता है।
वैसे, एक बात गांठ बांध लें कि स्मॉल कैप कंपनियों में निवेश कम से कम चार-पांच साल के लिए करना चाहिए। दस साल के लिए करें तो बहुत अच्छा। ऐसी कंपनियां बाजार में आंधी-तूफान आने पर तेजी से गिरती हैं। लेकिन लंबे समय में संभलना इनका मूल चरित्र है। बस देखना यह चाहिए कि कंपनी का मूलाधार क्या है? उसकी जड़े कितनी गहरी हैं? इसके धंधे में कितना दम और कितनी संभावना है?
इस लिहाज से हमें तो डाई अमीन्स दमदार कंपनी लगती है। ग्लोबीकरण के इस दौर में किसी न किसी दिन यह बड़ी कंपनी बनेगी। खुद बढ़कर नहीं तो किसी में विलीन होकर। बढ़ने का कार्बनिक रास्ता नहीं, तो अकार्बनिक रास्ता पकड़ेगी। विलय या अधिग्रहण का शिकार हो सकती है। मेरा कहना है कि चूंकि हम अभी सीखने के दौर में हैं, इसलिए इसका 100 शेयर लेकर रख देना चाहिए। फिर देखिए कि उस निवेश का क्या होता है!
कंपनी की 65.20 फीसदी इक्विटी प्रवर्तकों के पास है। एफआईआई ने इसमें हाथ नहीं लगाया है जबकि डीआईआई का निवेश 0.06 फीसदी है। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 10,052 है। इसमें से 9763 (97.12 फीसदी) एक लाख रुपए से कम लगाने वाले छोटे निवेशक हैं जिसके पास कंपनी के कुल 20.87 फीसदी शेयर हैं। वहीं 34 बड़े शेयरधारकों के पास कंपनी के 11.55 फीसदी शेयर हैं। हां, कंपनी लाभांश देने में कोई कोताही नहीं करती है। बीते साल के लिए उसने दस रुपए पर 4.50 रुपए यानी 45 फीसदी का लाभांश दिया है। उसका लाभांश यील्ड अभी 8.06 फीसदी के शानदार स्तर पर है।