वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कॉटन और कॉटन यार्न पर डीईपीबी (ड्यूटी इनटाइटलमेंट पासबुक) स्कीम की सुविधा पूर्व तिथि से बहाल कर दी है। वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने बताया कि कॉटन यार्न पर यह सुविधा 1 अप्रैल 2011 और कॉटन पर 1 अक्टूबर 2010 से बहाल की गई है। उन्होंने कहा, “मैं पिछले कुछ दिनों में कॉटन व कॉटन यार्न उद्योग की स्थिति की समीक्षा की। इन दोनों ही उद्योग क्षेत्रों को अंतरराष्ट्रीय व घरेलू बाजार में कीमतों का भारी उतार-चढ़ाव झेलना पड़ा है।”
वाणिज्य मंत्री ने कहा, “सरकार की नीति पिछले एक साल से बहुत नपी-तुली रही है। कॉटन यार्न को 1 अप्रैल 2011 से निर्यात की ओजीएल (ओपन जनरल लाइसेंस) में डाल दिया गया है। इसलिए कॉटन यार्न पर डीईपीबी लाभ को 1 अप्रैल 2011 से बहाल किया गया है।”
कॉटन को डीईपीबी लाभ देने के बारे में श्री शर्मा ने कहा, “पिछले कपास वर्ष में कॉटन निर्यात को हतोत्साहित करने के लिए इस पर निर्यात टैक्स लगाया गया था। लेकिन इसे 1 अक्टूबर 2010 से हटा लिया गया। स्पष्टतया सरकार कट-ऑफ तारीख के बाद कॉटन निर्यात को हतोत्साहित नहीं करना चाहती। इसलिए अब सोच-विचार के बाद 1 अक्टूबर से कॉटन पर डीईपीबी स्कीम की सुविधा दे दी गई है।” बता दें कि सरकार डीईपीबी स्कीम को अक्टूबर 2011 से बंद कर देना चाहती है।