नामी ब्रोकरेज कंपनी एडेलवाइस सिक्यूरिटीज़ से नुवामा वेल्थ बनी निवेश फर्म ने हाल ही एक रिसर्च रिपोर्ट में इस तथ्य की पुष्टि की है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मांग के सुस्त पड़ते जाने के बड़े दौर से गुजर रही है। इसके चलते कॉरपोरेट क्षेत्र के मुनाफे के बढ़ने की दर शीर्ष पर पहुंचने के बाद थमने लगी है और तमाम कोशिशों के बावजूद उसके लाभ मार्जिन घटते जा रहे हैं। नुवामा कोई बाहर की नहीं, बल्कि कॉरपोरेट क्षेत्र के अंदर की खबर रखनेवाली फर्म है। उसका यह भी कहना है कि सरकार लगातार चार साल से अपना पूंजीगत व्यय बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में जो जान डाले हुए थी, उसकी लौ भी अपने चरम पर पहुंचने के बाद अब मंद पड़ने लगी है, जबकि उसकी जगह भरने के लिए निजी क्षेत्र आगे नहीं आया है। इसकी तस्दीक करता है परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) का डेटा। यह अक्टूबर में ज़रूर बढ़कर 57.5 अंक पर पहुंचा है। लेकिन सितंबर में यह 56.5 अंक था जो आठ महीने का न्यूनतम स्तर था। बड़ा हल्ला है कि तीस महीने में पहली बार बैंकों का डिपॉजिट उनके द्वारा दिए गए उधार से ज्यादा गति से बढ़ा है। लेकिन डेटा देखें तो बैंक डिपॉजिट 11.8% बढ़े हैं, जबकि बैंक लोन 11.7% की दर से। क्या इतना मामूली अंतर जबरन ढोल बजाना नहीं है? अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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