जीडीपी के साथ डिफ्लेटर की तिकड़मबाजी करने के बावजूद मोदीराज में भारत ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका) ही नहीं, जी-20 देशों में प्रति व्यक्ति आय के मामले में सबसे गरीब है। मालूम हो कि जी-20 के बाकी देश जीडीपी की गणना में डबल डिफ्लेटर की पद्धति अपनाते हैं। वे आउटपुट डिफ्लेटर लगाकर रीयल आउटपुट और इनपुट डिफ्लेटर लगाकर रीयल इनपुट निकालते हैं। फिर रीयल इनपुट को रीयल आउटपुट से घटाकर रीयल जीडीपी निकालते हैं। लेकिन भारत एक ही डिफ्लेटर, थोक मुद्रास्फीति दर अपना रहा है। इसके ही खेल का कमाल यह है कि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में नॉमिनल जीडीपी 14.2% की शानदार दर से बढ़ने के बावजूद असल विकास दर 7% निकली थी, जबकि इस बार नॉमिनल जीडीपी 9.6% बढ़ने पर असल विकास दर पहले से कहीं ज्यादा 8.2% निकाली गई है। जानकार मानते कि जब तक देश में प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स (पीपीआई) या डबल डिफ्लेटर का तरीका नहीं अपनाया जाता, तब तक जीडीपी की सही तस्वीर पेश करने के लिए रिटेल मुद्रास्फीति को डिफ्लेटर बना देना जाना चाहिए। अपने यहां रिटेल मुद्रास्फीति की औसत दर बीते वित्त वर्ष 2023-24 में 5.35% रही थी। इसे 9.6% की नॉमिनल दर से घटा दें तो जीडीपी की असली विकास दर 4.25% निकलती है, न कि 8.2% जिसका मोदी सरकार ने दावा किया है। अब शुक्रवार का अभ्यास…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...