किसी कंपनी के होने का मूल मकसद होता है नोट बनाना और कंपनी को स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्ट कराने का मकसद होता है, उसके स्वामित्व को जनता में बिखेर कर पूंजी की सुलभता व लाभ सुनिश्चित करना और कमाए गए लाभ को लाभांश या अन्य तरीकों से अपने शेयरधारकों तक पहुंचाना। अगर कोई लिस्टेड कंपनी लाभ नहीं कमा रही है तो उसके शेयरों में मूल्य खोजना खुद को धोखे में रखना या भयंकर रिस्क लेना है। किसी कंपनी का शेयर बढ़ेगा या नहीं, यह मोटे तौर पर तीन बातों से तय होता है। एक, कंपनी की कमाई या लाभ कितना बढ़ रहा है। दो, उससे आगे की अपेक्षाएं या उम्मीदें क्या हैं। और तीन, बाजार में उसको लेकर भावना क्या है, वह उसकी कितनी कद्र करता है।
आज की हमारी कंपनी दीपक फर्टिलाइजर्स एंड पेट्रोकेमिकल्स। रसायन, पेट्रोरसायन, उर्वरक व अन्य कृषि लागत सामग्रियां बनाती है। अपने संयंत्रों तक प्राकृतिक गैस की अबाधित सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए इसने बॉम्बे हाई के समुद्री तट से तलोजा तक 43 किलोमीटर की पाइपलाइन बिछा रखी है। किसानों तक सीधे पहुंचने के लिए अभी तक नौ महाधन सारथी केंद्र बना रखे हैं। ख्वाहिशों से भरे नए मध्यवर्ग को खींचने के लिए कंपनी ने पुणे से उत्तर-पूर्व की दिशा में 5.50 वर्गफुट क्षेत्रफल में इशान्य नाम का एक भवन निर्माण व डिजाइन केंद्र खोल रखा है, जहां वह इंटीनियर व एक्सटीरियर सजावट से जुड़ी 52 किस्म की सेवाएं व उत्पाद उपलब्ध कराती हैं। कंपनी के बारे में बाकी की जानकारी आप उसकी वेबसाइट से हासिल कर सकते हैं।
कंपनी ने पिछले बुधवार, 11 मई को अपने सालाना नतीजे घोषित किए हैं। इन अंकेक्षित या ऑडिटेड नतीजों के अनुसार उसने वित्त वर्ष 2010-11 में 1550.02 करोड़ रुपए की बिक्री पर 186.62 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। इससे पिछले वित्त वर्ष में उसकी बिक्री 1270.68 करोड़ और शुद्ध लाभ 172.05 करोड़ रुपए था। इस तरह कंपनी की बिक्री 21.98 फीसदी और शुद्ध लाभ 8.47 फीसदी बढ़ा है। अगर सिर्फ मार्च 2011 की तिमाही की बात करें तो कंपनी की बिक्री में 33.61 फीसदी और शुद्ध लाभ में 19.38 फीसदी का इजाफा हुआ है।
पिछले तीन सालों में कंपनी की बिक्री 15.21 फीसदी और शुद्ध लाभ 15.79 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ता रहा है। कंपनी का परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) 22.22 फीसदी और शुद्ध लाभ मार्जिन (एनपीएम) 12.43 फीसदी है। कंपनी का ऋण-इक्विटी अनुपात 0.78 है जिसका मतलब यह हुआ कि उसके ऊपर कर्ज का भारी बोझ नहीं है। उसका रिटर्न ऑन इक्विटी (आरओई) 16.76 फीसदी के ठीकठाक स्तर पर है।
भावी संभावना की बात करें तो इस बार मानसून अच्छा रहनेवाला है। कृषि क्षेत्र में उर्वरकों व अन्य रसायनों की अच्छी मांग निकलेगी। माना जा रहा है कि इस साल कंपनी का धंधा 25 फीसदी तक बढ़ सकता है। यहां तक कंपनी की कमाई और अपेक्षाओं की बात हो गई। अब देखते हैं कि बाजार में दीपक फर्टिलाइजर्स की कितनी कद्र है? बाजार उसे कितना और कैसा भाव दे रहा है?
मार्च 2011 में बीते वित्त वर्ष में कंपनी का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 21.26 रुपए है। कंपनी का शेयर अभी बीएसई (कोड – 500645) में 173.20 रुपए और एनएसई (कोड – DEEPAKFERT) में 172.30 रुपए चल रहा है। इस तरह वह अभी 8.15 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। ऐतिहासिक रूप से देखें तो मार्च 2008 के बाद से लेकर अब तक उसका अधिकतम पी/ई अनुपात 13.68 का रहा है जो उसने नवंबर 2010 में हासिल किया था। असल में 3 नवंबर 2010 का यह शेयर 212.40 रुपए पर था जो 52 हफ्ते का इसका उच्चतम स्तर है। इसका 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर 102.15 रुपए का है जहां यह साल भर पहले 25 मई 2010 को पहुंच गया था।
मतलब साफ है कि दीपक फर्टिलाइजर्स कितना भी कमा लें, बाजार ने उसे अभी तक 13.68 गुना ही भाव दिया है। इस तरह मौजूदा ईपीएस या कमाई के दम पर वह ज्यादा से ज्यादा 290 रुपए तक जा सकता है। हम 9.5 का पी/ई अनुपात लें तो यह शेयर 202 रुपए तक जा सकता है। यानी, अभी के स्तर से इसमें 17-18 फीसदी बढ़त की गुंजाइश दिख रही है। अंत में इतनी सावधानी कि यह एक मोटामोटी गणना है। अपने यहां शेयरों के भाव ऑपरेटरों की चाल से भी निर्धारित होते हैं। और, ऑपरेटरों से दीपक फर्टिलाइजर्स की ‘जान-पहचान’ अच्छी है। इसलिए निवेश करें तो हर पहलू को अच्छी तरह से ढोंक-बजाकर देखने के बाद। इसे अंग्रेजी में Due Diligence कहते हैं।
हां, एक बात और। दीपक फर्टिलाइजर्स की इक्विटी 88.20 करोड़ रुपए है जो 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसमें प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 43.15 फीसदी है, जबकि एफआईआई ने इसके 12.21 फीसदी और डीआईआई ने 8.86 फीसदी शेयर खरीद रखे हैं। कंपनी ने इस साल 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर 5 रुपए यानी 50 फीसदी का लाभांश घोषित किया है। इससे पहले 2006 से लेकर 2010 तक वह 3 रुपए से लेकक 4.50 रुपए का लाभांश देती रही है।