नहीं समझ में आता कि शेयर बाजार में यह किसके करमों की गति और कौन-सी होनी है जो सब कुछ अच्छा होते हुए भी किसी कंपनी के शेयर के साथ बुरा हो जाता है। सही संदर्भ के लिए पहले संत कबीर का पूरा पद, “करम टारे नाहिं टरी। मुनि वसिष्ठ से पण्डित ज्ञानी साधि के लगन धरी। सीता हरन मरन दसरथ को, वन में बिपत परी। कहं वह फन्द कहां वह पारिधि, कहं वह मिरग चरी। कोटि गाय नित पुन्य करत नृग गिरगिट जोनि परी। पाण्डव जिनके आप सारथी, तिन पर बिपति परी। कहत कबीर सुनो भई साधो होने होके रही।”
क्या सचमुच अपने शेयर बाजार में सब कुछ इतना फिक्स है कि सारी गणनाएं यहां आकर फेल हो जाती हैं? हमने दीपक फर्टिलाइजर्स एंड पेट्रोकेमिकल्स के बारे में करीब आठ महीने पहले 18 मई 2011 को यहां लिखा था और निवेश की सिफारिश करते हुए कहा था कि यह शेयर 202 रुपए तक जा सकता है। तब इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 172 रुपए पर चल रहा था। यह शेयर उसके बाद 3 जून को 186 रुपए तक चला गया। लेकिन फिर गिरते-गिरते 19 दिसंबर 2011 को 118.25 रुपए पर पहुंच गया। फिलहाल 140 रुपए के इर्दगिर्द डोल रहा है। कल, 30 जनवरी 2012 को यह बीएसई (कोड – 500645) में 138.20 रुपए और एनएसई (कोड – DEEPAKFERT) में 137.45 रुपए पर बंद हुआ है।
गौर करें कि इस शेयर की बुक वैल्यू ही 120.87 रुपए है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 24.97 रुपए है। इस तरह उसका शेयर मात्र 5.53 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। पिछली मई में जब हमने इसमें निवेश की संस्तुति की थी, तब यह 8.15 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा था। इस बीच कंपनी ने प्रति शेयर 5 रुपए (50 फीसदी) का लाभांश भी दिया है। इसके बावजूद शेयर गिर गया। आखिर क्यों? यह बी ग्रुप का शेयर है। बीएसई-500 में शामिल है। लेकिन फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस की सूची में नहीं है तो ऑपरेटरों के खेल की ज्यादा गुंजाइश भी नहीं है!!!
इस साल अभी तक कंपनी का कामकाज दुरुस्त चला है। जून तिमाही में उसकी बिक्री 35.88 फीसदी और शुद्ध लाभ 22.49 फीसदी बढ़ा। सितंबर तिमाही में बिक्री में 41.54 फीसदी और शुद्ध लाभ में 30.07 फीसदी का इजाफा हुआ। अभी पिछले हफ्ते 25 जनवरी को घोषित नतीजों के अनुसार दिसंबर तिमाही में जहां उसकी बिक्री 61.66 फीसदी बढ़ी है, वहीं शुद्ध लाभ में 23.32 फीसदी का इजाफा हुआ है। दिसंबर 2011 तक के नौ महीनों में कंपनी ने 1652.55 करोड़ रुपए की आय पर 167.49 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा कमाया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2010-11 के बारह महीनों में उसकी आय इससे कम 1564.81 करोड़ और शुद्ध लाभ थोड़ा-सा ज्यादा 186.61 करोड़ रुपए था। अगर नौ महीनों से तुलना करें तो कंपनी की आय 45.43 फीसदी और शुद्ध लाभ 25.09 फीसदी बढ़ा है।
हमने मई में अनुमान लगाया था कि कंपनी का धंधा 25 फीसदी तक बढ़ सकता है। नौ महीनों में धंधा वास्तव में 45 फीसदी बढ़ा है। शुद्ध लाभ तक 25 फीसदी बढ़ गया है। फिर भी शेयर गिर जाए तो हम-आप क्या कर सकते हैं? लेकिन इसे होनी मानकर बैठा भी नहीं जा सकता क्योंकि यह हमारे बाजार के अधूरेपन, रिटेल निवेशकों की निष्क्रियता और किसी दूसरे की कलाकारी का नतीजा है। फिर इसे कैसे काटा जाए? जिस तरह कहते हैं कि समय सबसे बड़ा मरहम होता है, उसी तरह समय किसी भी मजबूत स्टॉक को लांग टर्म में सही मूल्यांकन तक पहुंचा ही देता है। इसलिए हमारा कहना है कि दीपक फर्टिलाइजर्स से निकलने की कोई जरूरत नहीं है, बल्कि इसे थोड़ा और खरीदकर अपनी लागत कम कर लेनी चाहिए।
यकीन मानिए कि दीपक फर्टिलाइजर्स देश के रसायन उद्योग की अग्रणी कंपनियों में शुमार है। वह कई रसायनों में सबसे बड़ी कंपनी है। जैसे, आइसो प्रोपाइल एल्कोहल (आईपीए) में देश का 75 फीसदी बाजार उसके कब्जे में है। टेक्निकल अमोनियम नाइट्रेट (टीएएन) के बाजार का भी आधे से ज्यादा हिस्सा उसके पास है। उर्वरकों में तो जितना चलो, उतना बढ़ने का स्कोप है। वह ईशान्य और सारथी ब्रांड के साथ विशिष्ट रसायनों व कृषि संबंधी सामग्रियों के रिटेल धंधे में भी उतर चुकी है। मोटे तौर पर कंपनी की बिक्री का 59 फीसदी हिस्सा रसायनों से, 38 फीसदी हिस्सा कृषि व्यवसाय से और बाकी 3 फीसदी रिटेलिंग से आता है। इन तीनों ही सेगमेंट में बढ़ने की भरपूर संभावना है। जानकार बताते हैं कि कंपनी का शेयर अगले चार-पांच साल में दो से तीन गुना हो सकता है। इसलिए इसे कसकर पकड़े रहिए। बाकी काम समय को करने दीजिए।
कंपनी की 88.20 करोड़ रुपए की इक्विटी का 43.32 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है। एफआईआई ने इसके 12.90 फीसदी और डीआईआई ने 9.64 फीसदी शेयर खरीद रखे हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 1,13,890 है। इसमें से 1,10,088 (96.67 फीसदी) एक लाख रुपए से कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं जिनके पास कुल 20.76 फीसदी शेयर हिस्सेदारी है। कंपनी में प्रवर्तकों के अलावा एक फीसदी से ज्यादा शेयरधारिता वाले बड़े निवेशकों की संख्या छह है जिनके पास कुल 16.87 फीसदी शेयर हैं। इनमें जीआईसी, फिडेलिटी म्यूचुअल फंड, फ्रैंकलिन टेम्प्लेटन म्यूचुअल फंड और बिड़ला सनलाइफ शामिल हैं। इनके अलावा रोबस्ट मार्केटिंग सर्विसेज नाम की एक फर्म के पास कंपनी के 2.96 फीसदी शेयर हैं।