डीसीएम लिमिटेड का शेयर (बीएसई कोड – 502820, एनएसई कोड – DCM) महीने भर पहले 23 जुलाई को 69.45 रुपए पर बंद हुआ था। कल 23 अगस्त को उसका बंद भाव 101.80 रुपए रहा है। इस तरह महीने भर में इसने 46.6 फीसदी का रिटर्न दिया है। मैजूदा भाव पर भी कंपनी का शेयर महज 2.51 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है क्योंकि उसका ठीक पिछले बारह महीने (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 40.48 रुपए है। कंपनी की प्रति शेयर बुक वैल्यू ही 82.53 रुपए है।
करीब पंद्रह दिन पहले ही कंपनी ने हरियाणा सरकार से 250 एकड़ जमीन का मुकदमा जीता है। बीस सालों से कंपनी की बंद हिसार इकाई की जमीन का यह मुकदमा चल रहा था। राज्य सरकार का कहना था कि यह जमीन उसने कंपनी को उपहार में दी थी, जबकि कंपनी का दावा था कि उसने यह जमीन तत्कालीन बाजार भाव से ज्यादा कीमत पर खरीदी थी। आखिरकार पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने डीसीएम के पक्ष में फैसला सुनाया। कंपनी के चेयरमैन विनय भरतराम के मुताबिक इस जमीन को बेचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। निस्संदेह रूप से यह जमीन कंपनी के लिए भारी दौलत का जरिया बनकर आई है।
9 अगस्त को यह फैसला आया। उसी दिन इसने 101.90 का शिखर बनाया और अगले ही दिन उसके ऊपर 109.50 रुपए का नया शिखर बना दिया। कंपनी के तीन डिवीजन हैं – टेक्सटाइल, आईटी और रीयल एस्टेट। कभी लाला भरतराम की यह कंपनी उद्योग की ही नहीं, शेयर बजार की भी चहेती कंपनी हुआ करती थी। डीसीएम का अपना ब्रांड था। लेकिन नए जमाने ने इसकी साख और रफ्तार को मद्धिम कर दिया। कंपनी ने इस दौरान अपने कारोबार का पुनर्गठन किया है। उसने वित्त वर्ष 2009-10 में 245.27 करोड़ रुपए की आय पर 65.70 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था। इसमें मार्च 2010 की तिमाही में उसकी आय 69.54 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 59.94 करोड़ रुपए था। खैर, यह कमाल किसी खास वजह से हुआ होगा। इस साल जून 2010 की तिमाही में उसने 72.27 करोड़ रुपए की आय पर 5.67 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हासिल किया है। साल भर पहले जून 2009 की तिमाही में उसकी आय 51.68 करोड़ और शुद्ध लाभ 1.02 करोड़ रुपए था। जाहिर है कि कंपनी की विकास-यात्रा दुरुस्त चल रही है।
इस साल और इसके अगले साल कंपनी की लाभप्रदता और कारोबार का आकलन करना तो लंबी-चौड़ी रिसर्च का काम है। लेकिन जमीन के खजाने और अब तक की प्रगति के ग्राफ को देखते हुए कंपनी के अच्छे भविष्य का अनुमान लगाना मुश्किल नही है। वैसे भी 2.51 का पी/ई अनुपात अगर 5 भी हो गया तो शेयर के भाव दोगुने हो जाएंगे। तो, साल भर में इसका लक्ष्य 200 रुपए का मान लिया जाए! मानने में क्या हर्ज है? भविष्य तो तकनीकी विश्लेषक भी नहीं जानते हैं। फंडामेंटल वाले भी आकस्मिकता का आकलन नहीं कर पाते। दो महीने पहले कौन जानता था कि केसोराम इंडस्ट्रीज की किसी फैक्ट्री में आग लग जाएगी!
बाकी कहा जा रहा है कि एक प्रमुख फंड हाउस हीरो होंडा को बेचकर मारुति में हाथ डाल रहा है। लक्ष्य एक महीने में मुनाफा कमाने का है। हीरो होंडा 10 फीसदी गिरेगा तो मारुति में 10 फीसदी बढ़त की कोशिश है। त्रिवेणी ग्लास पिछले कुछ दिनों से हरकत में है। इसका शेयर 2 अगस्त के 9.52 रुपए से बढ़ते-बढ़ते अब 15 रुपए पर पहुंच गया है। जानकारों की सलाह है कि इसे बटोरना जारी रखना चाहिए।