ढोल को कितनी भी ज़ोर से पीटा जाए, एक न एक दिन उसकी पोल खुल ही जाती है। मोदी सरकार ने देश के राष्ट्रीय खातों का जो हाल किया है, उसकी पोल अब आईएमएफ जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्था ने खोल दी है। सवाल पूछे जाने लगे हैं कि मुद्रास्फीति से लेकर जीडीपी तक के आंकड़े ज़मीनी हकीकत से मेल क्यों नहीं खाते? जब देश की लगभग 90% अर्थव्यवस्था अनौपचारिक या असंगठित क्षेत्र में है, तब 10% संगठित क्षेत्रऔरऔर भी