डेटा पर विश्वास टूटा, लीपा-पोती जारी!
2025-12-08
जो बात दबी जुबान से कई सालों से कही जा रही थी, ‘अर्थकाम’ जिसको लेकर हल्ला मचाता रहा है, जिसे वो अर्थव्यवस्था के साथ वोट-चोरी जैसा अपराध बताता रहा है, जिसे देशभक्त व जागरूक अर्थशास्त्री बराबर उठाते रहे हैं और जिसे हाल में बिजनेस चैनल व पोर्टल भी उठाने लगे थे, वो अब जगजाहिर हो गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने अपनी ताजा सालाना समीक्षा में कहा है कि भारत के जीडीपी, जीवीए और मुद्रास्फीति जैसे राष्ट्रीयऔरऔर भी

