शेयर बाज़ार में उथल-पुथल। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भागे जा रहे हैं। चालू वित्त वर्ष 2025-26 में अब तक कभी खरीद तो कभी बिक्री करते हुए शेयरों से कुल मिलाकर ₹26,317 करोड़ निकाल चुके हैं। इसमें भी अगस्त में उन्होंने ₹34,993 करोड़ की शुद्ध निकासी की है, जबकि सितंबर के पहले पांच दिन में ही ₹12,257 करोड़ निकाले हैं। बीते वित्त वर्ष 2024-25 में उन्होंने ₹1,27,041 करोड़ निकाले थे। इस बार उथल-पुथल के भरे दौर में क्याऔरऔर भी

भारत यकीनन विकसित देश बन सकता है और बनेगा भी। लेकिन किसी व्यक्ति के चमत्कार या उसके हाथों में सारी सत्ता केंद्रित कर देने से नहीं, बल्कि संस्थाओं को मजबूत करने से। ईडी, सीबीआई, एनआईए, इनकम टैक्स विभाग तो कब के अपनी स्वायत्तता खोकर सरकारी गुलाम बन चुके हैं। नीति आयोग से लेकर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद तक जी-हुजूरियों के मंच हैं। चुनाव आयोग पूरी तरह सत्तारूढ़ दल की कठपुठली बन चुका है। हाईकोर्ट और सुप्रीमऔरऔर भी

सरकार तक का काम खुद कैसे नौकरशाही के मकड़जाल में फंस जाता है, इसका ताज़ा उदाहरण है इसी हफ्ते सोमवार, 1 सितंबर को लॉन्च हुई मुंबई से सिंधुदुर्ग तक की रो-रो फेरी। यह प्रोजेक्ट 2014-19 में फडणवीस के पिछले कार्यकाल में पेश किया गया था। लेकिन केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय और राज्य बंदरगाह विभाग से 147 मंजूरियां लेने में दस साल यूं ही निकल गए। सरकारी भ्रष्टाचार व वसूली से आम लोग ही नहीं, निजी उद्योग भी त्रस्तऔरऔर भी

सरकारी मंजूरियां देश में बिजनेस करनेवालों के जी का जंजाल बनी हुई है। एक एमएसएमई इकाई शुरू करने के लिए बार-बार 57 अनुपालन और केवल पर्यावरण, स्वास्थ्य व सुरक्षा से जुड़े 18 विभिन्न अधिकारियों से 17 अनुमोदन/लाइसेंस लेने पड़ते हैं। हमारे कानून में उद्योग-धंधे संबंधी 75% रेग्य़ुलेशन ऐसे हैं जिनमें जेल तक की सज़ा का प्रावधान है। तमाम सरकारी एजेंसियां बिजनेस करनेवालों से डरा-धमकाकर वसूली करती रहती हैं। भ्रष्टाचार को पालते-पोसते ऐसे माहौल के ऊपर हर बिजनेसऔरऔर भी

मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था के साथ 11 सालों से जीडीपी को बढ़ाकर दिखाने का छल कर रही है, जबकि ज़मीनी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। खपत घट रही है। लोगों पर कर्ज बढ़ रहे हैं। कंपनियां देश में नया निवेश न करके बाहर भाग रही हैं। आम लोगों पर ही नहीं, उद्योग धंधों पर भी टैक्स का बोझ बढ़ता जा रहा है। जिस सॉफ्टवेयर क्षेत्र ने जमकर नौकरी दे रखी थी, वो छंटनीऔरऔर भी