धन देशी-विदेशी हो या काला सफेद, उसका प्रवाह ही शेयरों के भाव तय करता है। इस प्रवाह की वजह कुछ हो सकती है, कोई अच्छी खबर, भावी संभावना या ऑपरेटरों का मैन्यूपुलेशन। रिटेल ट्रेडर को इसका पता तो ज़रूर होना चाहिए। लेकिन यह उसकी ट्रेडिंग रणनीति का हिस्सा नहीं हो सकता, क्योंकि उसके पास यह जानकारी तभी आती है जब बाज़ार और शेयरों के भाव इसे सोख चुके हैं। इसलिए उसे मानकर चलना चाहिए कि स्टॉक ट्रेडिंगऔरऔर भी

अपने शेयर बाज़ार में युवा निवेशकों की संख्या बढ़ती जा रही है। जुलाई 2025 तक की स्थिति के अनुसार हर पांच में से दो निवेशकों की उम्र 30 साल से कम है। इन 40% युवा निवेशकों को अच्छे रिटर्न की उम्मीद रही होगी क्योंकि बाज़ार ने 1995 से अब तक औसतन 12.5% सालाना रिटर्न दिया है और मार्च 2020 के बाद तो निफ्टी-500 का औसत सालाना रिटर्न 29% रहा है। लेकिन पिछले एक साल ने उनको निराशऔरऔर भी