मोदी सरकार के राज में जीडीपी से लेकर मुद्रास्फीति और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) तक का आंकड़ा एकदम अविश्सनीय हो गया है। समझदार लोग इन पर भरोसा नहीं करते। देश के आम आदमी की हालत खराब है, इस प्रत्यक्ष तथ्य को किसी प्रमाण की ज़रूरत नहीं। दिक्कत यह है कि जिस कॉरपोरेट क्षेत्र के कंधे पर सवार होकर यह सरकार भारत को विकसित देश बनाने का सपना बेच रही है, उसके कंधे भी अब दुखने लगे हैं। प्रमुख रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर तिमाही में कॉरपोरेट क्षेत्र की आय 5-7% बढ़ी है जो 16 तिमाहियों की न्यूनतम दर है। उसने 435 बड़ी लिस्टेड कंपनियों के नतीजों के विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकाला। जून तिमाही में इन कंपनियों की आय 8.3% बढ़ी थी। अलग-अलग कंपनियों में बजाज ऑटो का परिचालन लाभ सितंबर तिमाही में 2.68% घट गया। इससे उसका शेयर 15% से ज्यादा लुढ़क गया। टाटा कंज्यूमर के नतीजों ने इतना हताश किया कि उसका शेयर लगभग 10% गिर गया। नेस्ले इंडिया की परिचालन आय मात्र 3.3% बढ़ी है। इन्फोसिस, टीसीएस व एलटीआई माइंडट्री जैसों की आय मुद्रास्फीति को मात नहीं दे सकी। अब बुधवार की बुद्धि…
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