हाथ मिलाने से ही कोई कड़ी बनती है और बिना मजबूत कड़ी के यह कोशिश परवान नहीं चढ़ सकती। काम तो हम ही करेंगे। लेकिन आपका अंकुश, आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं ज़रूरी हैं। आप नीचे दिए गए संपर्क फॉर्म के ज़रिए मुझसे संवाद कर सकते हैं।
यात्रा की शुरुआत नए वित्त वर्ष से हो गई है। सफर बहुत लंबा है। एक पुराना शेर याद आ रहा है …
इक न इक शमा अंधेरे में जलाए रखिए, सुबह होने को है माहौल बनाए रखिए।