देश के व्यापार व उद्योग संगठनों, प्रोफेशनल संस्थानों और रिजर्व बैंक व पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के प्रतिनिधियों ने सरकार को वित्तीय उत्पादों की कलर कोडिंग का सुझाव दिया है। मंगलवार को कॉरपोरेट कार्य मंत्री डॉ. एम वीरप्पा मोइली के साथ राजधानी दिल्ली में हुई बैठक में निवेशकों की हितों की रक्षा और पूंजी बाजार की पहुंच को बढ़ाने के लिए इस तरह के कई सुझाव सामने आए। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका कि वित्तीय उत्पादों की कलर कोडिंग का क्या व्यावहारिक अभिप्राय है।
इस बैठक का आयोजन कॉरपोरेट गर्वनेंस और निवेशकों के हितों के संरक्षण के लिए महानगरों में फरवरी में मंत्रालय द्वारा आयोजित विचार-विमर्श के नतीजों को लागू करने के व्यावहारिक तौर-तरीके ढूंढने के लिए किया गया था। डॉ. मोइली ने बैठक में सशक्त और गतिशील पूंजी बाजार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस उद्देश्य के लिए मंत्रालय के अधिकारियों, प्रोफेशनल संस्थानों, अग्रणी उद्योग व व्यापार चैम्बरों की समिति गठित बनाने की सुझाव दिया।
मंत्री महोदय ने निवेशकों के हितों के संरक्षण की आवश्यकता और कंपनियों की विश्वसनीयता पर बल दिया। उनका कहना था कि इसके लिए स्कूलों के पाठयक्रम में वित्तीय साक्षरता को शामिल किया जाना जरूरी है। इसके लिए वित्त मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, एनसीईआरटी, विभिन्न राज्यों के शिक्षा बोर्ड और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के साथ विचार-विमर्श से समुचित खाका तैयार करना चाहिए।
बैठक के दौरान वित्तीय उत्पादों की कलर कोडिंग के साथ-साथ वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक के समन्वय में तकनीकी वित्तीय सूचना के सरलीकरण जैसे सुझाव दिए गए, ताकि निवेशकों के हितों को संरक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने की कारगर प्रणाली तैयार की जा सके। निवेशकों की शिकायतों के कारगर समाधान की प्रणाली के बारे में भी सुझाव आए। मंत्री महोदय ने देश भर में कारगर निवेशक शिक्षा के जरिए घरेलू बचत को निवेश माध्यमों की तरफ खींचने पर जोर दिया।