वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सफाई दी है कि जीएएआर (जनरल एंटी-एवॉयडेंस रूल) का मकसद सिर्फ टैक्स चोरों पर शिकंजा कसना है, न कि इमानदार निवेशकों को परेशानी करना। लेकिन कर देने और अपने विदेशी ग्राहकों की पहचान खुलने से डरी विदेशी ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने पी-नोट्स को बेचने का सिलसिला फिलहाल के लिए रोक दिया है। बता दें कि पी-नोट वे प्रपत्र हैं जिनके जरिए विदेशी निवेशक बगैर अपनी पहचान खोले विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के माध्यम से भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले मूलतः फ्रांस के ब्रोकिंग हाउस सीएलएसए के बारे में यह जानकारी दी है। पी-नोट के जरिए निवेश का धंधा भारत में 36 अरब डॉलर का हो चुका है। उधर, वित्त मंत्री ने लचीलापन दिखाते हुए कहा कि काले धन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने जीएएआर लागू करने का फैसला किया है। लेकिन संसद की स्थाई समिति के सुझावों के आधार पर जीएएआर में जरूरी बदलाव भी किए जाएंगे।
बता दें कि जीएएआर के अलावा इनकम टैक्स एक्ट में अप्रैल 1972 से संशोधन लागू करने पर भी चिंता बनी हुई है। प्रणव मुखर्जी के मुताबिक कानून में बदलाव के बाद सिर्फ 6 साल पुराने मामलों की ही जांच होगी। वोडाफोन टैक्स मामले में सुप्रीम कोर्ट के कंपनी के पक्ष में फैसला देने के बाद सरकार आयकर कानून में बदलाव कर रही है। प्रणव मुखर्जी का कहना है कि वोडाफोन के प्रति सरकार का रवैया बदले का नहीं है।
प्रणव मुखर्जी का कहना है कि जीएसटी लागू करने के लिए सेल्स टैक्स और सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी करना जरूरी था। जीएसटी के लिए टैक्स और ड्यूटी में तालमेल रखना जरूरी है। अब राज्यों की एक्साइज ड्यूटी का भी तालमेल बनाना होगा। उनके मुताबिक पेट्रोलियम उत्पादों पर ड्यूटी घटाने से सरकार को 49,000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। इसके अलावा सरकार ने जून 2011 के बाद डीजल के दाम नहीं बढ़ाए हैं।