चीन अब जापान को पछाड़कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और विश्व बैंक, गोल्डमैन सैक्स व दूसरी प्रमुख वित्तीय संस्थाओं के आकलन पर यकीन करें तो वह 2025 तक अमेरिका को नंबर-1 के पायदान से हटा देगा। इससे पहले चीन साल 2005 में ब्रिटेन व फ्रांस और 2007 में जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बना था। चीन इस समय दुनिया के समृद्ध व उभरते देशों के समूह जी-20 का सदस्य है और विश्व मंच पर उनके अपनी मजूबत हैसियत बना ली है।
चीन के मुख्य मुद्रा नियामक यी गांग ने चाइना रिफॉर्म पत्रिका को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा है कि चीन तो वास्तव में पहले ही दुनिया की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बन चुका है। रॉयटर्स समाचार एजेंसी के अनुसार गांग का यह इंटरव्यू उनकी संस्था, स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज की वेबसाइट पर उपलब्ध है। गांग ने बताया कि चीन 2009 में ही जापानी अर्थव्यवस्था के काफी करीब आ गया था और अब उसका जापान को पछाड़कर आगे बढ़ जाना कोई चौंकानेवाली बात नहीं है।
चीन की इस कामयाबी को 1978 से शुरू किए गए आर्थिक सुधारों का नतीजा माना जा रहा है। लेकिन आकार में विश्व की दूसरी अर्थव्यवस्था बन जाने के बावजूद 135 करोड़ की आबादी के कारण चीन प्रति व्यक्ति आय के मामले में जापान या अमेरिका के आगे कहीं नहीं ठहरता। चीन में प्रति व्यक्ति आय 3800 डॉलर सालाना है, जबकि जापान में यह लगभग 35,500 डॉलर और अमेरिका में 33,000 डॉलर है।
गांग ने जब पूछा गया कि क्या चीनी मुद्रा युआन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने का सही वक्त नहीं आ गया है तो उनका कहना था कि चीन अब भी विकासशील देश है और हमें खुद को समझने की समझदारी दिखानी होगी। बता दें कि इस साल जून तक चीन की अर्थव्यवस्था पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 11.1 फीसदी बढ़ी है। गांग के मुताबिक पूरे साल की आर्थिक विकास दर 9 फीसदी रहने का अनुमान है। इस समय चीन के पास दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार है। उसके खजाने में अभी 2,45,000 करोड़ डॉलर हैं। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अभी 28,294 करोड़ डॉलर का है।