भारत में मुद्रास्फीति की दर घटकर 7 फीसदी पर आती है। वहीं चीन में मुद्रास्फीति बढ़ने के बावजूद मार्च में 3.6 फीसदी रही है। वह भी भारत में जहां थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति चलन में है, वहीं चीन में मुद्रास्फीति का पैमाना उपभोक्ता मूल्य सूचकांक है।
चीन में मार्च माह में मुद्रास्फीति के इस तरह बढ़कर 3.6 होने जाने से कीमतों पर काबू पाने की सरकार की क्षमता को लेकर चिंता जताई जा रही है। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो का कहना है कि चीन का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पिछले साल की तुलना में मार्च में 3.6 फीसदी बढ़ा। फरवरी में इसमें 3.2 फीसदी की बढ़त हुई थी, जो 20 महीने का सबसे कम आंकड़ा था।
शिन्हुआ संवाद समिति के अनुसार मार्च महीने में खाद्य पदार्थों की कीमतों में 7.5 फीसदी का उछाल आया। चीन के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य कीमतों का योगदान लगभग एक तिहाई है। इधर चीन में सब्जियां व ईंधन लगातार महंगा हो रहा है। चीनी सरकार के आंकड़ों के अनुसार 18 सब्जियों के थोक मूल्य में फरवरी के बाद लगातार चार सप्ताह तक मजबूती बनी रही। वैसे, सरकार ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति का लक्ष्य लगभग चार फीसदी रखा हुआ है।