प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रम्प के टैरिफ पर कहते हैं, “हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा। मैं जानता हूं कि व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं।” बहुत बड़ी व्यक्तिगत कीमत यह हो सकती है कि देश के अवाम के साथ 11 सालों से छल किए जाने के कारण उन्हें सत्ता गंवानी पड़े। बाकी जब तक वे हैं, तब तक भारतीय किसानों से ज्यादा अमेरिका का भला करते जा रहे हैं। इस साल जनवरी से जून तक अमेरिका को हमारे कृषि उत्पादों का निर्यात 24.1% बढ़ा है, जबकि इसी दौरान देश में अमेरिका के कृषि उत्पादों का आयात 49.1% बढ़ा है। अमेरिका बादाम, पिस्ता व अखरोट से लेकर सेब तक भारत को निर्यात कर रहा है। साथ ही इथेनॉल, सोयाबीन और कपास भी। सरकार अमेरिका को मक्का जैसे तमाम जेनेटिकली मॉडिफायड (जीएम) अनाज भारत में बेचने की छूट देने को तैयार है। डेयरी में अमेरिका का दखल बढ़ना तय है। ऊपर से 50% टैरिफ लगने के भारत के समुद्री उत्पादों का निर्यात ठप पड़ जाएगा। मोदी सरकार कहती है कि वो दस करोड़ किसानों को सालाना ₹6000 की सम्मान निधि देती है। लेकिन यह रकम किसानों को बढ़ाने नहीं, उनके असंतोष को शांत करने के लिए है। अब बुधवार की बुद्धि…
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