केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में बाजार से 2.20 लाख करोड़ रुपए उधार जुटाएगी। यह बजट में तय की गई रकम से 52,872 करोड़ रुपए ज्यादा है। सरकार के इस फैसने ने बांड बाजार में सिहरन दौड़ा दी है और माना जा रहा है कि इससे निजी क्षेत्र के लिए वित्तीय संसाधन कम पड़ जाएंगे। सरकार का कहना है कि लघु बचत से कम रकम मिलने और केंद्र का कैश बैलेंस कम होने के कारण यह फैसला करना पड़ा है। लघु बचत वह बचत है जो आम लोग डाकघरों या एनएससी (राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र) वगैरह में जमा कराते हैं। यह बचत घटने की एक वजह लगातार महंगाई का ऊंचा रहना है।
सरकार के नए फैसले की घोषणा वित्त मंत्रालय से संबद्ध आर्थिक मामलात विभाग के सचिव आर गोपालन ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली में की। उन्होंने ही बताया कि बाजार उधार का ताजा रकम फरवरी में बजट में तय की गई रकम से 52,872 करोड़ रुपए अधिक है। सरकार के इस फैसले ने पूरे बांड बाजार को चौंका दिया है क्योंकि वहां ज्यादा से ज्यादा 20,000 से 30,000 करोड़ वृद्धि का अनुमान लगाया जा रहा था।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने फरवरी में बजट पेश करते हुए तय किया था कि वित्त वर्ष 2011-12 में केंद्र सरकार की कुल बाजार उधारी 4.17 लाख करोड़ रुपए रहेगी। इसी के हिसाब से राजकोषीय घाटे को जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 4.6 फीसदी तक सीमित रखने का लक्ष्य पेश किया गया।
इस साल अप्रैल से सितंबर में अब तक विभिन्न सरकारी बांडों के जरिए 2.50 लाख करोड़ रुपए जुटाए जा चुके हैं। पुराने कार्यक्रम के मुताबिक अक्टूबर से मार्च के बीच 1,67,128 करोड़ रुपए जुटाए जाने थे। लेकिन अब इसकी जगह वित्त मंत्रालय ने 2,20 लाख करोड़ रुपए जुटाने का फैसला किया है जो पूर्व घोषणा से 52,872 करोड़ रुपए ज्यादा है। चूंकि रिजर्व बैंक सरकार के सारे ऋण का इंतजाम करता है। इसलिए आज, गुरुवार को उसने बाजार से कब-कब कितनी रकम जुटाई जाएगी, इसका पूरा कैलेंडर जारी कर दिया।
आर्थिक मामलात विभाग के सचिव गोपालन के मुताबिक बाजार से ज्यादा उधार उठाने की जरूरत इसलिए पड़ गई क्योंकि इस साल लघु बचत से 35,000 करोड़ रुपए कम मिलने का अनुमान है। साथ ही सरकार का कैश बैलेंस कम है। गोपालन अब भी कहे जा रहे हैं कि विनिवेश के लिए निर्धारित 40,000 करोड़ रुपए का लक्ष्य पूरा हो जाएगा। लेकिन पूंजी बाजार की मौजूदा दशा-दिशा को देखते हुए इस लक्ष्य के पूरा होने में संदेह है।
सरकार की नई उधारी के फौरन बाद दस साल की परिपक्वता अवधि वाले 100 रुपए अंकित मूल्य के सरकारी बांडों के दाम खटाक से गिरकर 95.85 रुपए पर आ गए। 7.80 फीसदी सालाना ब्याज वाले इन बांडों पर यील्ड की दर इसी अनुपात में बढ़कर 8.44 फीसदी हो गई। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के वरिष्ठ रणनीतिकार नागराज कुलकर्णी का कहना है, “ब्याज दरों के बढ़ने के इस माहौल में ज्यादा सरकारी बांडों की सप्लाई यील्ड की दर को निश्चित रूप से बढ़ा देगी।”