गणतंत्र, संविधानप्रदत्त अधिकारों से सम्पन्न नागरिकों का देश। अंग्रेज़ों द्वारा गुलामी के दौरान मॉरीशस लेकर सूरीनाम और दूसरे देशों में बसाए भारतीय वापस लौटकर नहीं आए तो बात समझ में आती है। खाड़ी के देशों में गए कामगार वापस मुल्क नहीं लौट रहे तो वजह साफ है। लेकिन आज जिस तरह गरीब व बेरोज़गार नौजवान ठगों और बिचौलियों का शिकार बनकर भी विदेश जाने को लालायित हैं, प्रोफेशनल अपनी बिकाऊ प्रतिभा के दम पर वर्क वीज़ा हासिल कर रहे हैं और अमीर विदेशी नागरिकता खरीद रहे हैं, वो बेहद संजीदा मसला है। जो सचमुच मजबूत भारत बनाना चाहते हैं, राष्ट्र निर्माण के प्रति गंभीर हैं, जिनके अंदर सच्ची देशभक्ति है, उन्हें 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर बेहद गंभीरता से चिंतन-मनन करना पड़ेगा कि देशवासियों के बीच देश से विरक्ति क्यों बढ़ रही है? राम का नाम जपकर राष्ट्र निर्माण नहीं किया जा सकता। सरकार राजनीतिक एजेंडे के लिए धार्मिक अतिवाद का इस्तेमाल कर रही है। लेकिन जिन परिवारों के बच्चे विदेश जाकर बस गए, उनके मां-बाप और परिजनों को उनकी कमी बहुत सालती है। वे सीमा पर लड़ रहे जवान नहीं कि छुट्टियों में आकर घर की रौनक बढ़ा देंगे। वे तो चले गए सालों-साल के लिए उन बूढ़े मां-बाप को बेसहारा छोड़कर जिनके लिए देश में पर्याप्त वृद्धाश्रम भी नहीं हैं। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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