अभी तक केवल कंपनियों और पार्टनरशिप फर्मों के लिए ही आयकर रिटर्न इलेट्रॉनिक रूप से भरना जरूरी है। लेकिन अब इसमें उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) को भी शामिल कर दिया गया है जिसके खातों का अंकेक्षण आयकर एक्ट 1961 की धारा 44 एबी के तहत होता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इसकी अधिसूचना 9 जुलाई 2010 को जारी कर दी है और गजट में प्रकाशित होते ही यह नियम लागू हो जाएगा।
इस नियम के तहत सभी कंपनियों को फॉर्म नंबर आईटीआर-6 में डिजिटल हस्ताक्षर के साथ अपना रिटर्न इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरना होगा। अभी तक कंपनियां बिना डिजिटल हस्ताक्षर के भी रिटर्न भर सकती थीं। एचयूएफ और नियत व्यक्तियों को अपना आईटी रिटर्न फॉर्म नंबर आईटीआर-4 में इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरना होगा। लेकिन उनको छूट दी गई है कि वे यह रिटर्न डिजिटल हस्ताक्षर के साथ या इसके बिना भी भर सकते हैं।
आयकर एक्ट 1961 की धारा 44 एबी के तहत खातों के अंकेक्षण की जरूरत तब पड़ती है जब साल भर में बिजनेस से हुई कुल प्राप्ति या टर्नओवर 40 लाख रुपए से ज्यादा हो। यह सीमा चालू वित्त वर्ष 2010-11 (आकलन वर्ष 2011-12) से 60 लाख रुपए हो जाएगी। यह धारा उन प्रोफेशनल लोगों पर भी लागू होती है जिनकी कुल सालाना आय अभी 10 लाख रुपए से ज्यादा है। इस वित्त वर्ष (आकलन वर्ष 2011-12) से यह सीमा बढ़ाकर 15 लाख रुपए कर दी गई है।