शिरीष खरे यह सच है कि सरदार सरोवर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है, जो 800 मीटर नदी में बनी अहम परियोजना है। सरकार कहती है कि वह इससे पर्याप्त पानी और बिजली मुहैया कराएगी। मगर सवाल है कि भारी समय और धन की बर्बादी के बाद वह अब तक कुल कितना पानी और कितनी बिजली पैदा कर सकी है और क्या जिन शर्तों के आधार पर बांध को मंजूरी दी गई थी वह शर्तें भीऔरऔर भी

एस पी सिंह दूसरी हरितक्रांति और दलहन विकास के लिए सिर्फ 700 करोड़ रुपये का सरकार ने बजट में प्रावधान किया है। जबकि आईपीएल की एक टीम 1702 करोड़ रुपये में बिकी है। यह हाल चल रहा है गरीबों व भुखमरी के शिकार लोगों के देश में!! खाद्यान्न की महंगाई ने लोगों की रसोई का बजट खराब कर दिया है और गरीबों के पेट भरने के लाले पड़े हैं। महंगाई पर चर्चा कराने को लेकर पक्ष-विपक्ष कीऔरऔर भी

संजय तिवारी आर्थिक मसलों पर काम करते समय भारत में मुख्य रूप से दो तरह की मानसिकता काम करती है। एक, वणिक मानसिकता और दूसरी किसान मानसिकता। उधार, लेन-देन और पूंजी से पूंजी का खेल वणिक मानसिकता है। लेकिन यह भी कोई स्वच्छंद व्यवस्था नहीं होती। इसका बाजार से ज्यादा सामाजिक सरोकारों से लेना-देना होता है। जिस भारतीय बैंकिग प्रणाली को आज हमारे वित्तीय प्रबंधक एक मजबूत व्यवस्था घोषित कर रहे हैं उसके मूल में यही सोचऔरऔर भी

एस पी सिंह सरकारी भंडारों में निर्धारित मानक से तीन गुना ज्यादा अनाज, पिछले साल से बेहतर चीनी सत्र और सस्ते खाद्य तेलों की पर्याप्त उपलब्धता!… इसके बाद भी महंगाई मार रही है। दरअसल सरकार खाद्य अर्थव्यवस्था के प्रबंधन में बुरी तरह चूक गई है। संसद में बहस के दौरान चीनी की कीमतों में व़ृद्धि के बहाने प्रधानमंत्री ने इस असफलता को स्वीकार भी कर चुके हैं। उचित समय पर सही निर्णय लेने में खाद्य मंत्रालय सेऔरऔर भी