नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की शुरुआत जब 3 जुलाई 1990 को हुई, तब निफ्टी 279 पर था। 23 साल बाद तमाम उतार-चढ़ावों के बाद बावजूद 3 जुलाई 2013 को निफ्टी 5771 पर बंद हुआ। सालाना चक्रवृद्धि दर निकालें तो निफ्टी में लगा धन इन 23 सालों में हर साल 14.08% बढ़ा है। एफडी पर टैक्स के बाद रिटर्न 6-7% से ज्यादा नहीं बनता। शेयर बाज़ार में लंबे समय के निवेश का यही फायदा है। ध्यान दें किऔरऔर भी

सोने के भाव गिरते जा रहे हैं। डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत हो गया तो सोने के भाव हम भारतीयों के लिए और कम हो जाते हैं। लेकिन सदियों पहले धतूरे से तुलना करने के बावजूद सोने को लेकर हमारा नशा कम होने का नाम ही नहीं ले रहा। प्रसिद्ध मनोविश्लेषक सिगमंड फ्रॉयड ने अपनी किताब ‘ड्रीम्स इन फोकलोर’ में लिखा है कि बेबीलोनिया (अभी का इराक) के प्राचीन मिथकों में सोने को नरक का मल कहाऔरऔर भी

हर पांच दिन पर हमारा पेट अंदर से एकदम नया हो जाता है। हर छह हफ्ते बाद हमारे पास एकदम नया लीवर होता है। हर तीस दिन पर हमारी त्वचा एकदम नई हो जाती है। हर साल हमारा दिमाग अपनी कोशिकाओं को रिसाइकल कर नया हो जाता है। चार साल से भी कम वक्त में हमारा शरीर आखिरी अणु तक एकदम नया हो जाता है। इसलिए नए को सही खुराक और सांस मिले तो पुराने रोग अपने-आपऔरऔर भी

बैंक ऑफ जापान अपने यहां मुद्रास्फीति को बढ़ाकर 2% कर देना चाहता है। इसके लिए वह नोटों की सप्लाई को दोगुना करने जा रहा है। वहां इस साल फरवरी में मुद्रास्फीति की दर बढ़ने के बजाय 0.70% घटी है। वह भी तब, जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं, रहने के खर्च, परिवहन व संचार और संस्कृति व मनोरंजन का भार 71.5% (25 + 21 + 14 +11.5) है, जबकि ईंधन, बिजली व पानी का 7%, मेडिकलऔरऔर भी

28 फरवरी 2013 तक देश में कुल डीमैट खातों की संख्या 2,09,19,851 हो गई है। इनमें से 1,26,32,085 खाते एनएसडीएल के पास हैं और 82,87,766 खाते सीडीएसएल के पास। माना जाता है कि 2.09 करोड़ डीमैट खातों में से अधिकतम नौ लाख खाते एचएनआई, एफआईआई, डीआईआई व ब्रोकरों जैसे बड़े निवेशकों के हो सकते हैं। बाकी दो करोड़ खाते रिटेल निवेशकों के हैं। 1992 में हर्षद मेहता कांड के फूटने से पहले देश में रिटेल निवेशकों कीऔरऔर भी

वित्त मंत्री ने वित्त विधेयक 2013 के जरिए आयकर कानून 1961 में 49 नए प्रावधान जोड़े हैं। सरकार अमूमन हर साल आयकर कानून में ऐसे पचास संशोधन करती है। कभी-कभी तो यह संख्या सौ तक पहुंच जाती है। पचास का औसत मानें तो 1961 में बने इस कानून में अब तक के 52 सालों में ढाई हज़ार से ज्यादा संशोधन हो चुके होंगे। मुंबई की जानीमानी लॉ फर्म डीएम हरीश एंड कंपनी के पार्टनर अनिल हरीश कहतेऔरऔर भी

मार्च में खत्म हो रहे वित्त वर्ष 2012-13 के आम बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य व प्रसारण जैसी सामाजिक सेवाओं पर 20,784 करोड़ रुपए के खर्च का प्रावधान है। यह देश की 121 करोड़ से ज्यादा आबादी के लिए है। वहीं, केंद्र सरकार राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री जैसे मुठ्ठी भर वीवीआईपी लोगों के लिए 12 हेलिकॉप्टर खरीदने का फैसला करती है, जिसकी लागत 3600 करोड़ रुपए है। यह रकम सामाजिक सेवाओं के व्यय की 17.32% बैठती है। भले हीऔरऔर भी

भारत पूरी तरह 26 जनवरी 1950 को ही आज़ाद हुआ क्योंकि 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद करीब ढाई साल तक देश ब्रिटिश राज का स्वतंत्र उपनिवेश या डोमिनियन बना रहा। असल में 26 नवंबर 1946 को भारत की संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी जिसने 26 नवंबर 1949 तक संविधान तैयार कर दिया गया और अपना भी लिया। संविधान पर अमल 26 जनवरी 1950 से शुरू हुआ और भारत एक संप्रभु व लोकतांत्रिकऔरऔर भी

1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम के दमन के बाद ब्रिटिश राज को महफूज़ रखने के लिए सीआरपीसी की धारा-144 बनाई गई थी। अंग्रेज सरकार का मानना था कि जब पांच से ज्यादा लोग इकठ्ठा ही नहीं हो सकेंगे तो सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन क्या खाक करेंगे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन आंदोलन के खिलाफ इसका जमकर इस्तेमाल हुआ। लेकिन गुलाम भारत का यह निषेधाज्ञा कानून आज़ाद भारत की लोकतांत्रिक सरकार ने भी बनाए रखा है। दारूऔरऔर भी

गुजरात में कुल मतदाताओं की संख्या 3.78 करोड़ है। वहां अकेले गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन या अमूल के नाम से लोकप्रिय सहकारी संस्था से जुड़े दुग्ध उत्पादक सदस्यों की संख्या 31.8 लाख है। ये 8.41 फीसदी मतदाता राज्य के 24 जिलों के 16,117 गांवों में फैले हैं। बीते साल 2011-12 में अमूल का सालाना कारोबार 11,668 करोड़ रुपए रहा है। इतनी भौगोलिक पहुंच और आर्थिक ताकत के बावजूद अमूल का कोई संगठित राजनीतिक प्रभाव नहीं है।औरऔर भी