सच कहें तो धंधा और कुछ नहीं, बस दूसरों से जुड़ने की कोशिश है। उस समान चीज को पकड़ने का उपक्रम है जो सबमें है, सबकी जरूरत है। कंपनियां सर्वे से इसका पता लगाती हैं और ज्ञानी अपनी अंतर्दृष्टि से।
2010-08-03
सच कहें तो धंधा और कुछ नहीं, बस दूसरों से जुड़ने की कोशिश है। उस समान चीज को पकड़ने का उपक्रम है जो सबमें है, सबकी जरूरत है। कंपनियां सर्वे से इसका पता लगाती हैं और ज्ञानी अपनी अंतर्दृष्टि से।
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