नवंबर 2016 में लगी नोटबंदी की मार से छोटे व मझोले उद्योग अभी तक उबर नहीं पाए हैं। फिर, जुलाई 2017 के बाद जीएसटी के खराब अमल ने निर्यातकों को निचोड़ दिया। वे सरकारी नौकरशाही को संतुष्ट नहीं पा रहे कि उन्होंने निर्यात का शिपमेंट कर दिया है तो उनका टैक्स रिफंड अटका पड़ा है। यह रकम करीब 10,000 करोड़ रुपए है और इतनी कार्यशील पूंजी छोटे निर्यातक आसानी से जुटा नहीं पाते। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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