धन की दुनिया में बिजनेस मॉडल बदले

भारत को 2047 तक विकसित देश बनना है तो हमारी अर्थव्यवस्था को अगले 24 साल तक 9.41% की सालाना चक्रवद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ना होगा। हमारा जीडीपी 2019 से 2023 तक औसतन 4% सालाना की दर से बढ़ा है। अभी उसकी दर 6-7% की रेंज में है। सब इसी में मगन हैं कि हम दुनिया की सबसे तेज़ गति से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। किसी के पास कोई रोडमैप नहीं कि 2047 तक कैसे 9% की सीएजीआर से बढ़ते हुए 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेंगे। इस बीच देश के निवेशक तैयार होते जा रहे हैं। जो अभी तक एफडी और पीपीएफ वगैरह तक सिमटे हुए थे, वे अब कॉरपोरेट क्षेत्र के साथ मिलकर ज्यादा रिस्क लेने लगे हैं। एनएसई के मुताबिक देश में शेयर बाज़ार के निवेशकों की संख्या दिसंबर 2023 तक 8.5 करोड़ हो चुकी है, जबकि निरंतक अपडेट करनेवाले बीएसई के अनुसार पंजीकृत निवेशकों की संख्या 15.48 करोड़ को पार कर चुकी है। ऐसे माहौल में बैंकों को आमजन के सस्ते धन की कमी हो सकती है जिससे उनके फंड की लागत बढ़ जाएगी। वहीं, बड़ा कॉरपोरेट क्षेत्र अब पूंजी के लिए बैंकों के बजाय पूंजी बाज़ार की तरफ झुकने लगेगा। बैंकों को कुछ सालों में कॉरपोरेट बॉन्डों का डिस्ट्रीब्यूटर बनना पड़ सकता है। अब बुधवार की बुद्धि…

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