शासुन केमिकल्स एंड ड्रग्स (एससीडीएल) दुनिया में इबुप्रोफेन और गाबापेंटिन बनानेवाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। वह रैनिटिडाइन व नाइजैटिडाइन जैसी दवाओं की प्रमुख निर्माता है। उसने 2006 में ब्रिटेन में एक अधिग्रहण के बाद शासुन फार्मा सोल्यूशंस (एसपीएस) नाम की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सडियरी बना रखी है। 2009 से वह बायोटेक क्षेत्र में भी उतर चुकी है। उसके पास चेन्नई में अपनी आर एंड डी सुविधाएं हैं। वह अमेरिकी कंपनी वरटेक्स फार्मा को वीएस-950 दवा सप्लाई करती है। जापान से लंबे समय के कांट्रैक्ट हासिल करने की कोशिश में लगी है।
वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी अकेले दम पर 549.26 करोड़ रुपए की बिक्री पर 22.06 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है और उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 4.57 रुपए है। लेकिन अगर सब्सिडयरी इकाइयों को भी मिला दें तो कंपनी घाटे में रही है और उसका ईपीएस ऋणात्मक में 2.8 रुपए रहा है। लेकिन एचडीएफसी सिक्यूरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी में दूरगामी संभावनाएं काफी सकारात्मक है और यह निवेशकों को साल भर में अच्छा रिटर्न दे सकती है।
इस समय शासुन केमिकल्स के 2 रुपए अंकित मूल्य के शेयर का भाव बीएसई में 88.15 रुपए और एनएसई में 88.60 रुपए चल रहा है। कंपनी के शेयर की बुक वैल्यू 42.93 रुपए है। यानी, शेयर का मूल्य बुक वैल्यू से लगभग दोगुने स्तर पर है। कंपनी की 9.66 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 46.61 फीसदी है। एफआईआई के पास उसके 3.23 फीसदी और डीआईआई (घरेलू निवेशक संस्थाओं) के पास 7.76 फीसदी शेयर हैं।
एचडीएफसी सिक्यूरिटीज का आकलन है कि चालू वित्त वर्ष में कंपनी की बिक्री में कम से कम 15 फीसदी बढ़त होगी। चलते-चलते यह भी बता दें कि कंपनी के मार्च 2010 तक 325 करोड़ रुपए का कर्ज था, जिसमें से 40 फीसदी रुपए में लिया गया कर्ज था, जबकि 60 फीसदी डॉलर में। रुपए में लिए कर्ज पर ब्याज की दर 10-11 फीसदी और डॉलर के कर्ज पर 5-6 फीसदी थी।