दुनिया में सबसे तेजी से उभरते पांच देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) का शिखर सम्मेलन गुरुवार को राजधानी दिल्ली में हो रहा है। दुनिया की 40 फीसदी से ज्यादा आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले इन देशों के शीर्ष नेता ब्रिक्स की चौथी शिखरवार्ता के लिए जुट रहे हैं। इस बार शिखरवार्ता का केंद्रीय विषय थीम ‘वैश्विक स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि के लिए ब्रिक्स की साझेदारी’ तय किया गया है।
चीन के राष्ट्रपति हू जिन्ताओ बुधवार को दोपहर बाद दिल्ली पहुंच गए। उनके साथ आये उच्चस्तरीय शिष्टमंडल में विदेश मंत्री यांग जियेची, स्टेट काउंसिलर दाई बिंगुओ, वरिष्ठ मंत्री और उद्योगपति शामिल हैं। सुबह पहुंचे रूसी राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव के साथ भी वरिष्ठ अधिकारियों का बड़ा समूह है। ब्राजील के राष्ट्रपति दिलमा रूसेफ तो मंगलवार की सुबह ही आ गए थे, वहीं दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जूमा अपनी पत्नी नोंपुमेलेते तुली और आधिकारिक शिष्टमंडल के साथ बुधवार को सुबह पहुंचे।
शिखरवार्ता के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीनी राष्ट्रपति समेत नेताओं से द्विपक्षीय बातचीत करेंगे, जिसमें व्यापार घाटे को कम करना और नए विश्वास बहाली कदम तेज करने जैसे अनेक विषयों को लिया जाएगा। शिखरवार्ता में भारत द्विपक्षीय व्यापार में भारी असंतुलन के मुद्दे को उठा सकता है जो करीब 70 अरब डॉलर बढ़ गया है।
शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स की अध्यक्षता भारत को सौंपी जाएगी। इस दौरान सदस्य राष्ट्र दो समझौतों पर दस्तखत कर सकते हैं। इनमें स्थानीय मुद्रा में ऋण सुविधाएं देने के मानक समझौता और ऋण संबंधी एक अन्य करार शामिल है। ब्रिक्स देशों ने चीन के सान्या में आयोजित पिछले सम्मेलन में स्थानीय मुद्राओं में उन्हें क्रेडिट देने को सहज बनाने के लिए सहमति की रूपरेखा पर दस्तखत किए थे। बता दें कि पहली ब्रिक्स शिखर वार्ता रूस में 2009 में हुई थी, जिसके बाद 2010 में ब्राजीलिया में और पिछले साल चीन के सान्या में शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया।