हमारा मानना है कि बीएसई सेंसेक्स दीवाली पर ज्यादा नहीं तो 21,000 तक जरूर जा सकता है। देखते हैं कि ऐसा होता है या नहीं। कोल इंडिया के आईपीओ से मिले रिफंड और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की टीम में शामिल 200 सीईओ बाजार में नई पूंजी प्रवाह का जरिया बनेंगे।
जब हमने शुक्रवार को निफ्टी में 5986 पर खरीद की कॉल पेश की तो सभी लोगों ने हमें फिर से पागल करार देने की कोशिश की। लेकिन कोई अचंभे की बात नहीं कि निफ्टी ने वहां से यू-टर्न लिया और अब 6146 के ब्रेक आउट स्तर से मात्र 28 अंक ही पीछे है। माहौल बदलता देख हमारे दोस्त एकबारगी फिर निफ्टी को लेकर तेजी के मूड में आ गए हैं। हवा के रुख के साथ पहलटनेवाले ऐसे लोगों को जाने दीजिए, मुझे तो यही लगता है कि निफ्टी इस हफ्ते नई ऊंचाई पकड़ लेगा। कारण, एक भी ऐसा कारक नहीं है जो हमें नकारात्मक रुख अपनाने का आधार दे रहा हो। हां, इतना जरूर है कि निवेशकों के मन में अजीब किस्म की आशंका छाई हुई है।
आज सुबह 9.15 बजे से ही बीएसई के सदस्य/ब्रोकर भारी समस्या से रू-ब-रू रहे क्योंकि वे बोल्ट (बीएसई ऑनलाइन ट्रेडिंग सिस्टम) में आई तकनीकी समस्या के चलते अपने ऑर्डर, उनकी पुष्टि या ट्रेड का विवरण नहीं देख सके। ब्रोकरों ने डबल पंचिंग के डर से ट्रेडरों की लिमिट घटा दी। बीएसई ने दिन में पहले 10.45 से 10.55, फिर 12.00 से 1 बजे और इसके बाद डेढ़ से ढाई बजे तक ट्रेडिंग रोक दी। किसी तरह समस्या हल हुई तो ढाई बजे के बाद एक घंटे का कारोबार हुआ। इससे निवेशक भी वाकई डर गए। उन्हें लगने लगा कि अपने सौदे उन्हें अब एनएसई में शिफ्ट कर देने चाहिए। निवेशकों के भरोसे के अभाव में बीएसई में कारोबार की मात्रा वैसे ही मरी-गिरी पड़ी है। ऊपर से इस तरह की तकनीकी समस्या बीएसई के लिए कोढ़ में खाज का काम करेगी।
कैम्फर एंड एलायड प्रोडक्ट्स का शुद्ध लाभ तो अच्छा नहीं रहा, लेकिन उसकी बिक्री में जबरदस्त वृद्धि हुई है। दरअसल कंपनी ने इनवेंटरी की लागत खर्च में डाल रखी है जो अगली तिमाही के फायदे में बदल जाएगी। वीआईपी इंडस्ट्रीज ने भी 2009 में ऐसा किया था, जिसके बाद उसके शानदार नतीजे आए और स्टॉक छलांग लगा गया। साधारण निवेशकों के लिए कैम्फर के आंकड़े बुरे हैं, लेकिन समझदार निवेशक के लिए उसकी बिक्री का बढ़ना मायने रखता है।
यही मामला क्विंटेग्रा सोल्यूशंस के साथ है। उसने अपनी बैलेंस शीट को दुरुस्त करने के लिए 6 करोड़ रुपए राइट-ऑफ या आस्तियों में से घटा दिए हैं जो अपने आप आनेवाली चीजों का संकेत देता है। त्रिवेणी ग्लास ने तकरीबन 12 तिमाहियों के बाद घाटे के बजाय 48 लाख रुपए के शुद्ध लाभ की घोषणा की है। यह साफ तौर पर कंपनी के कायाकल्प का संकेत है।
बहुत से ब्रोकर अब ऑटो सेक्टर को डाउनग्रेड करने लगे हैं। अक्टूबर में ऑटो कंपनियों की बिक्री अच्छी नहीं रही है। उनके लाभ मार्जिन पर भी दबाव है। आपको याद होगा कि हमने सबसे पहले ऑटो सेक्टर को डाउनग्रेड किया था। दूसरी तरफ हमने आईडीबीआई बैंक में खरीद की सलाह के साथ सबसे पहले रिपोर्ट पेश की थी। इसके बाद इसमें बिग बुल (राकेश झुनझुनवाला) ने हाथ डाला। तब से इस स्टॉक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा है। इसका अगला पड़ाव 225 रुपए का है और तब यह खासमखास शेयरों के क्लब में शामिल हो जाएगा।
कारोबारियों व निवेशकों के बीच एक तरह का भय है कि बाजार एक बार नई ऊंचाई छूने के बाद भारी करेक्शन या गिरावट का शिकार हो सकता है। मेरी मानिए तो इस डर-भय को मन से निकाल फेंकिए। बाजार अब निफ्टी को 8000 अंक तक ले जाने की दिशा में बढ़ रहा है। अभी और भी सरकारी कंपनियों के आईपीओ आ रहे हैं। बड़े खिलाड़ी भी अपनी निवेश सक्रियता बढ़ाने जा रहे हैं।
कोई झूठ बार-बार बोले जाने से सच नहीं बन जाता।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)