ये अहम, ये ईगो हमारे अंदर का ऐसा ब्लैक होल है जो हमारा सब कुछ सोख कर बैठा रहता है। भ्रमों के जंगल से, माया के जाल से हमें निकलने नहीं देता। निकलने की कोशिश करते ही खींचकर पुनर्मूषको भव कर देता है।
2010-11-21
ये अहम, ये ईगो हमारे अंदर का ऐसा ब्लैक होल है जो हमारा सब कुछ सोख कर बैठा रहता है। भ्रमों के जंगल से, माया के जाल से हमें निकलने नहीं देता। निकलने की कोशिश करते ही खींचकर पुनर्मूषको भव कर देता है।
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अहं बाँध कर रखता है।