यश बिड़ला की कंपनी बिड़ला श्लोका एजुटेक और उसके शेयर दोनों की हालत इस समय खराब चल रही है। पिछले महीने 20 मई को घोषित नतीजों के मुताबिक वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी की आय 179.80 करोड़ रुपए से 3.23 फीसदी बढ़कर 185.60 करोड़ रुपए हो गई, लेकिन शुद्ध लाभ 5.01 करोड़ रुपए से 9.18 फीसदी घटकर 4.55 करोड़ रुपए रह गया। कंपनी का शेयर केवल बीएसई (कोड – 511607) में लिस्टेड है। पहले अहमदाबाद स्टॉक एक्सचेंज में भी लिस्टेड था। लेकिन 18 जनवरी 2011 से उसे वहां से डीलिस्ट करा दिया गया। उसका 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर पिछले साल 29 जून को 94.45 रुपए की चोटी पर था। अब 14.65 रुपए पर है। सालाना नतीजों की घोषणा के बाद वह 25 मई 2011 को 13.30 रुपए की तलहटी पकड़ चुका है।
क्या सचमुच यह ऐसी कंपनी है कि उसके स्टॉक को नजर से इतना गिरा दिया जाए? क्या उसमें भविष्य की संभावनाएं इतनी चुक गई हैं कि उसे यूं तिरस्कृत कर दिया जाए? शायद इसका उत्तर ‘ना’ है। यह सच है कि पिछली दो तिमाहियों से उसका धंधा मंदा चल रहा है। दिसंबर 2010 की तिमाही में साल भर पहले की तुलना में उसकी आय में 12.42 फीसदी और शुद्ध लाभ में 35.07 फीसदी की कमी दर्ज की गई, वहीं मई 2011 की तिमाही में आय में 24.79 फीसदी और शुद्ध लाभ में 96.18 फीसदी की भारी कमी आई। इतने खराब नतीजों के बाद शेयर को तो गिरना ही था। लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू देखा जाए।
इतनी मरी-गिरी हालत में भी कंपनी का अद्यतन सालाना ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 2.60 रुपए है। यानी, उसका शेयर 14.65 रुपए के मौजूदा भाव पर मात्र 5.63 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। उसकी बुक वैल्यू (नेटवर्थ / जारी शेयरों की संख्या) ही इस समय 46.50 रुपए है। शेयर के भाव से 3.17 गुना। दूसरे, कपनी ने जनवरी 2010 में लाए गए एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) में अपने शेयर 50 रुपए के मूल्य पर जारी किए थे जिसमें इसी भाव पर प्रवर्तकों ने भी दस लाख शेयर खरीदे थे।
तीसरे, यह तथ्य भी दर्ज किया जाए कि कंपनी ने 12 अक्टूबर 2010 को प्रवर्तकों को 19,94,823 परिवर्तनीय इक्विटी शेयर वारंट 68 रुपए की दर से जारी किए थे। 18 मार्च 2011 तक इसमें से 9,97,412 वारंट 68 रुपए के मूल्य पर शेयरों में बदले जा चुके हैं। अभी 9,97,411 लाख वारंट बदले जाने बाकी हैं। बहुत सीधी-सी बात है कि कंपनी को उसके प्रवर्तक से ज्यादा कोई नहीं समझता। अगर प्रवर्तक प्रति शेयर 68 रुपए का मूल्य दे रहे हैं और वो शेयर बाजार में 14.65 रुपए पर मिल रहा है तो उसे सस्ता ही माना जाएगा।
वैसे भी, शिक्षा बेहद तेज गति से उभरता हुआ क्षेत्र है। देश में स्तरीय शिक्षा व आसान शिक्षण पद्धति की मांग बढ़ती जा रही है। बिड़ला श्लोका एजुटेक सीधे विद्यार्थियों के बजाय निजी व सरकारी शिक्षण संस्थाओं की मांग को पूरा करती है। 75 से ज्यादा शिक्षण संस्थाओं के साथ उसका करार है जिन्हें वह जरूरी सॉफ्टवेयर से लेकर पूरा आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर तक उपलब्ध कराती है। कंपनी का गठन 1992 में राठी मर्केंटाइल एंड मैनेजमेंट सर्विसेज प्रा. लिमिटेड के नाम से हुआ था। 1994 में इसका नाम राठी मर्केंटाइल इंडस्ट्रीज हो गया। 1998 में यश बिड़ला समूह ने इसका अधिग्रहण कर लिया। फरवरी 2002 में इसका नाम श्लोका इनफोटेक लिमिटेड हुआ और अंततः दिसंबर 2008 से यह शिक्षा क्षेत्र पर विशेष फोकस के साथ बिड़ला श्लोका एजुटेक बन गई है।
बिड़ला श्लोका का शेयर अपने क्षेत्र की सभी प्रमुख कंपनियों – एडुकॉम्प सोल्यूशन, एप्टेक, एवेरॉन एजुकेशन, एनआईआईटी व करियर प्वाइंट से कम पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इसमें बढ़ने की गुंजाइश इसलिए भी दिखती है कि बाजार इसकी पूरी कद्र करता रहा है। जनवरी 2007 में इसका शेयर 122.53 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो चुका है। जनवरी 2008 में 267.51 तक के पी/ई अनुपात पर जाने के बाद यह सम होना शुरू हुआ। लेकिन सितंबर-अक्टूबर 2008 में लेहमान संकट के समय भी यह 60 से ज्यादा पी/ई पर ट्रेड हुआ था। मार्च 2009 में जब भारतीय शेयर बाजार एकदम तलहटी पर था, तब भी यह 39.68 के पी/ई पर था।
इसके बाद भी इससे बाजार की अपेक्षाएं बढ़ती गईं। फरवरी 2010 में जब शेयर का भाव 58.75 रुपए था, तब यह 299.68 के जबरदस्त पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा था। अगले महीने मार्च 2010 में शेयर बढ़कर 75.70 रुपए पर पहुंच गया, लेकिन पी/ई उतरकर 21.33 पर आ गया। दिसंबर 2010 में इसमें एक ढलान शुरू हुई है। लेकिन अतीत इस बात का साक्षी है कि बाजार इसे माकूल वक्त आने पर चढ़ा सकता है। वैसे भी, 46.49 रुपए बुक वैल्यू का शेयर अगर 14.65 रुपए के भाव पर मात्र 5.63 के पी/ई अनुपात पर उपलब्ध हो तो उसे हर लिहाज से सस्ता ही माना जाएगा। बशर्ते ऐसा कुछ न हो कि कंपनी घाटे व कुप्रबंधन के दलदल में धंस रही हो और उसका शेयर पेनी स्टॉक बनने जा रहा हो। बिड़ला श्लोका एजुटेक के साथ ऐसा है कि नहीं, इसकी परख आपको निवेश करने से पहले कर लेनी चाहिए।
इस कंपनी की कुल इक्विटी पूंजी मार्च 2011 के अंत तक 20.95 करोड़ रुपए है। इसका 74.23 फीसदी हिस्सा पब्लिक के पास और बाकी 25.77 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है। प्रवर्तक अपना हिस्सा बढ़ाने में लगे हैं। अभी सबसे ज्यादा शेयर यश बिड़ला समूह की फर्मों गोदावरी कॉरपोरेशन (11.49 फीसदी) और निर्वेद ट्रेडर्स (8.14 फीसदी) के पास हैं। खुद व्यक्तिगत रूप से यश या पूरा नाम लिखूं तो यशोवर्धन बिड़ला के पास कंपनी के 11,200 शेयर (0.05 फीसदी) ही है। मतलब, आज कोई अगर आम निवेशक दो लाख रुपए भी लगा दे तो वह बिड़ला श्लोका में 13,500 से ज्यादा शेयरों के साथ यश बिड़ला से बड़ा ‘मालिक’ बन जाएगा। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 13,152 है जिसमें से 12,531 शेयरधारकों का निवेश एक लाख रुपए से कम है।