महंगाई खासकर पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस और केरोसिन के मूल्य बढ़ाने जाने के खिलाफ आज देश के ज्यादातर राज्यों में व्यावसायिक व आर्थिक गतिविधियां ठहर गईं। शेयर बाजार तक इससे अछूता नहीं रहा जहां कारोबार की कुल मात्रा घटकर महज 46426 करोड़ रुपए रह गई, जबकि वहां औसत कारोबार एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का होता रहा है। एनएसई में फ्यूचर एंड ऑप्शन (एफ एंड ओ) सेगमेंट में 35804 करोड़ का कारोबार हुआ और कैश सेगमेंट में 7765 करोड़ रुपए का। बीएसई में एफ एंड ओ का मामला शून्य रहा और कैश सेगमेंट केवल 2857 करोड़ में निपट गया।
हालांकि विपक्ष के आंदोलन से सरकार बेपरवाह नजर आती है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी कल ही कह चुके हैं कि यह ईंधन मूल्य-वृद्धि वापस नहीं ली जाएगी। लेकिन उनके सेनापति और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोटेंक सिंह आहलूवालिया ने आज थोड़ा-सा ढांढस बंधाते हुए कह दिया है कि दिसंबर मुद्रास्फीति की दर नीचे आ जाएगी। बाद में वित्त मंत्रालय ने भी कहा कि मुद्रास्फीति दिसंबर तक 6 फीसदी पर आ सकती है। वैसे, शुक्रवार को ब्याज दरों में वृद्धि करके रिजर्व बैंक भी मुद्रास्फीति से लड़ने की मंशा जता चुका है। जानकारों का मानना है कि 27 जुलाई को मौद्रिक नीति की पहली त्रैमासिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ब्याज दरों में चौथाई फीसदी की और वृद्धि कर सकता है। रिजर्व बैंक ने सालाना मौद्रिक नीति में मार्च 2011 तक मुद्रास्फीति के 5.5 फीसदी पर आ जाने का अनुमान लगा रखा है।
प्रमुख उद्योग संगठन एसोचैम से मिली जानकारी के अनुसार देश के प्रमुख हिस्सों में भारत बंद का व्यापक असर पड़ा है। गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में व्यावसायिक व आर्थिक गतिविधियां ठप-सी पड़ गईं। यहां बहुत सारी फैक्टरियों के भी कामकाज पर असर पड़ा है। एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल डी एस रावत के अनुसार व्यावसायिक संगठनों में अनुपस्थिति काफी कम रही है। निर्यातकों के संगठन फियो के अनुसार भारत बंद से सामान्य कारोबारियों गतिविधियों पर असर पड़ा है और निर्यात कार्गो की आवाजाही में बाधा आई है।
बहुत-सी हवाई उड़ानों को रद्द करना पड़ा है और ट्रक सड़कों से दूर हैं। कोलकाता एयरपोर्ट बंद रहा और बेंगलुरु भी खुले रहने के बावजूद बंद जैसे हालत में रहा। मुंबई व दिल्ली के एयरपोर्ट खुले थे, लेकिन वहां कई उड़ानों को रद्द करना पड़ा। राष्ट्रीय ट्रक मालिक यूनियन के अनुसार अवाम से एकजुटता दिखाने के लिए सोमवार को 6 लाख ट्रक सड़कों पर नहीं उतारे गए। बता दें कि कांग्रेस के अलावा सभी पार्टियां इस बंद में शामिल हैं। बीजेपी और लेफ्ट पार्टियों के आवाहन को यूपीए सरकार में शामिल कई दलों का समर्थन हासिल है। मुंबई में टैक्सी व ऑटो सड़कों से गायब रहे, जबकि बस स्टॉप और रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही।