आईबीएम का एक विज्ञापन आपने देखा होगा जिसमें सच तक पहुंचने के लिए डाटा या आंकड़ों की अहमियत समझाई गई है। बाजार के संबंध में सीएनआई रिसर्च भी तमाम ऐसे डाटा उपबल्ध करा रही है। वह डेरिवेटिव सौदों के जिन आंकड़ों के आधार पर निफ्टी में लक्ष्य का निर्धारण करती है, उन्हें उसने अपनी वेबसाइट पर मुफ्त में उपलब्ध करा रखा है। कोई सीएनआई का सदस्य हो या न हो, इन्हें देख-परख सकता है। सीएनआई की वेबसाइट पर एकदम नीचे जाकर डेरिवेटिव्स पर क्लिक करें। अब ऑप्शन इंडेक्स (OPTIDX) पर जाइए, निफ्टी को चुनिए और गो पर क्लिक कर दीजिए।
यहां सारी सीरीज के सभी पुट व कॉल ऑप्शन सौदों का पूरा ब्यौरा आपको एक जगह मिल जाएगा। इन आंकड़ों को मेहनत और लागत से तैयार किया गया है। यह सहज उपलब्ध डाटा नहीं है। आमतौर पर इसे एफआईआई लाखों रुपए खर्च कर खरीदते हैं हैं। लेकिन सीएनआई की तरफ से यह डाटा फिलहाल हर किसी को मुफ्त में उपलब्ध कराया जा रहा है। यह एक सीएनआई की प्रमोशनल स्कीम का हिस्सा है और बाद में इस डाटा की कीमत ली जाएगी। इसलिए अभी इसे कायदे से इस्तेमाल करके देख लीजिए कि कितने काम का है।
इस डाटा से आप देख सकते हैं कि पुल और कॉल की स्थिति क्या है, जिससे निफ्टी के बंद होने के स्तर का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन डाटा की व्याख्या थोड़ी-बहुत गलत हो सकती है। जैसे कल इसी डाटा के आधार पर मुझे लगा था कि निफ्टी आज 6100 के आसपास बंद होगा। दिन भर निफ्टी 6000 के नीचे चलता रहा। लेकिन बंद होने तक बढ़कर 6030 पर पहुंच गया।
सीएनआई ने काफी मेहनत से अपनी वेबसाइट बनाई है। इसे अधिकांश एफआईआई और उसके सदस्य देखते हैं। यहां से इतनी जानकारियां मिल सकती हैं कि इधर-उधर झांकने की जरूरत ही नहीं पड़ती कि कहां क्या चल रहा है और कौन क्या कह रहा है। वैसे हमेशा ध्यान रखें कि इस दुनिया में कोई भगवान नहीं है और हर कोई गलती करता है जिसमें मैं भी शामिल हूं। यहां तक कि बिग बुल (राकेश झुनझुनवाला या आरजे) व ओल्ड फॉक्स (राधाकृष्ण दामाणी) तक भगवान नहीं हैं और गलती कर सकते हैं। कोई मामूली खिलाड़ी भी इन ताकतवर हस्तियों से टकराकर इन्हें गलत साबित कर सकता है। 2008 के क्रैश में आरजे ने डेरिवेटिव सौदों में अपनी एक-तिहाई दौलत गंवा दी थी। वहीं, ओल्ड फॉक्स को अपनी सारी कमाई से तब हाथ धोना पड़ा था, जब वे सेंसेक्स के 8000 के स्तर पर गलत फैसले के चलते बाजार की बिकवाली में बह गए। बाद में बाजार ने यू-टर्न लिया तो सीधे ऊपरी सर्किट से जा टकराया।
अब एक खास सूचना। एक एफआईआई ने अपने खास ब्रोकर से सूर्यचक्र पावर (बीएसई कोड – 532874) के 50 लाख शेयर जुटाने को कहा है। यह स्टॉक पहले ही आरजे की पकड़ में है। जहां तक मुझे लगता है कि आज इसके 10 लाख शेयर खरीदे जा चुके हैं। इसने अप्रैल 2010 में हासिल 21.35 रुपए का शिखर तोड़कर आज 24.35 का नया शिखर बनाया और इसमें 6.5 लाख शेयरों के सौदे 300 फीसदी के मार्जिन पर हुए हैं। शेयर 15.49 फीसदी के उछाल के साथ 21.25 रुपए पर बंद हुआ है। स्पष्ट तौर पर इस स्टॉक के लिए बड़ा ब्रेक-आउट है। कंपनी ने हाल ही में 600 मेगावॉट क्षमता के वैकल्पिक बिजली संयंत्र में व्यावसायिक उत्पादन शुरू होने की घोषणा की है।
सरकार भविष्य में बिजली खपत का 6 फीसदी हिस्सा वैकल्पिक या अक्षय ऊर्जा स्रोतों से हासिल करने को अनिवार्य बनाने जा रही है। रिलायंस एनर्जी ने बिजली के दाम 100 फीसदी बढ़ा दिए है और आपको यह कंपनी महज 162 करोड़ रुपए के बाजार पूंजीकरण पर मिल रही है। मैंने आज एक रिसर्च रिपोर्ट देखी है जिसमें वीआईपी के लिए 765 रुपए और सुप्रीम इंडस्ट्रीज के लिए 1125 रुपए का लक्ष्य रखा गया है। तो प्यारे, आपको बता दूं कि सुप्रीम को सबसे पहले मैंने 125 रुपए पर और वीआईपी को 34 रुपए पर पकड़ा था। मैं अब सूर्यचक्र पावर पर दांव लगा रहा हूं और आप इसे मेरी तरफ से नए साल 2011 का एडवांस तोहफा मान सकते हैं।
मैं तो कहूंगा कि वे सभी लोग जो अब तक की तेजी का फायदा उठाने से चूक गए हैं, उन्हें अपनी सारी होल्डिंग – एसबीआई, ओएनजीसी और आरआईएल तक, बेचकर यह शेयर लाखों में खरीद लेना चाहिए और फिर, 12 महीने इंतजार करना चाहिए। आप पाएंगे कि सूर्यचक्र पावर इस दरमियान 80 रुपए पर होगा और इसके लिए आप चक्री का शुक्रिया अदा करेंगे। यह कोई हवाबाजी नहीं है। आप इस कंपनी पर दूसरों की रिपोर्ट तब पाएंगे, जब इसका शेयर 100 रुपए के ऊपर पहुंच चुका होगा और 300 रुपए की तरफ बढ़ रहा होगा।
लेकिन सूर्यचक्र पावर के कम से कम 22,600 शेयर खरीदें। मान लीजिए कल आप ने इन्हें 23.50 रुपए की दर से खरीदा। आपके कुल खर्च होंगे करीब 5 लाख 31 हजार 100 रुपए। इनमें से आगे आप आधे यानी 11,300 शेयर 45 रुपए के भाव पर बेच लें और बाकी अपने रिटायरमेंट के लिए रख लें। इस तरह आपको मिल जाएंगे 5 लाख 8 हजार 500 रुपए। बाकी बचे 11,300 शेयरों की मूल लागत आपको प्रति शेयर दो रुपए ही आएगी। इन शेयरों से आप छोटा-सा घर खरीद सकते हैं जो आपको मुफ्त में पड़ जाएगा। फिलहाल दिमाग से काम करें, गुस्से से नहीं।
गुस्सा वह भावना है जिसके आगोश में आने पर आपकी जुबान आपके दिमाग से कहीं ज्यादा तेज गति से चलने लगती है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)