जिंदगी में हताश होकर गिरना बहुत आसान है। लेकिन यह निर्जीव पत्थर का स्वभाव है, जिंदा इंसान का नहीं। हम किसी लिखी-लिखाई स्क्रिप्ट के पात्र भी नहीं हैं। निमित्त या कठपुतली नहीं है हम। सजीव हैं हम।
2010-07-12
जिंदगी में हताश होकर गिरना बहुत आसान है। लेकिन यह निर्जीव पत्थर का स्वभाव है, जिंदा इंसान का नहीं। हम किसी लिखी-लिखाई स्क्रिप्ट के पात्र भी नहीं हैं। निमित्त या कठपुतली नहीं है हम। सजीव हैं हम।
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बहुत सही कहा!
जूझना मानवीय है ।