जहां अब भी होता है वस्तु विनिमय

केरल के एरनाकुलम ज़िले में पारावूर तालुका का एक छोटा-सा कस्बा है चेन्नामंगलम। यह एरनाकुलम से करीब 42 किलोमीटर दूर है। तीन नदियों व पहाड़ियों से घिरा है यह हरे-भरे मैदानों से भरा इलाका। उत्तरी पारावूर के इस इलाके में एक सालाना मेला लगता है जिसे मट्टा चांदा कहते हैं। यह मेला ग्राहकों को खींचने के मामले में देश के किसी भी सुपरमार्केट और मॉल को मात दे सकता है। इस मेले की इससे बड़ी खासियत यह है कि यहां रुपए या किसी मुद्रा में खरीद-बिक्री नहीं होती। यहां अब भी सदियों पुराना वस्तु विनिमय या बार्टर सिस्टम चलता है।

इसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता कि इसकी शुरुआत कब हुई थी। लेकिन शायद यह देश का इकलौता बाजार है जो शुरुआत से अब तक बदस्तूर चल रहा है। वैसे स्थानीय लोग मानते हैं कि इसकी शुरुआत कम से कम 200 साल पहले हुई होगी। तब सिक्के नहीं हुआ करते थे और जिनके पास जो होता है, उसे वे दूसरों को देकर अपनी जरूरत की चींजें ले लिया करते थे।

सूखी मछलियों के बदले अनाज, सब्जियों के बदले कपड़े या अनाज के बदले मसाले या ऐसा ही कुछ। अब भी वहां इसी तरह का व्यापार होता है। दूरदराज के किसान व उत्पादक अपनी जरूरत की चीजें इस मेले में इसी तरह बेचते खरीदते हैं। यह जानकारी कुछ समय पहले पारावूर के विधायक वी डी साथीसन ने एक समाचार एजेंसी को दी।

3 Comments

  1. thanks for giving such type of knowledge.

  2. thanks to arthkaam for giving us this type of information.

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