महीने भर में 49,817 करोड़ घटी बैंकों की जमा, ऋण बढ़े 81,806 करोड़

देश के बैंक इस समय एसेट-लायबिलिटी में जबरदस्त मिसमैच या असंतुलन का सामना कर रहे हैं। 19 नवंबर से 17 दिसंबर तक के दो पखवाड़ों में उनकी जमाराशि में 49,817 करोड़ रुपए की कमी आई है, जबकि इसी दौरान उनके द्वारा दिए गए ऋण 81,806 करोड़ रुपए बढ़ गए हैं। इस अंतर को पूरा करने के लिए बैंक लगातार रिजर्व बैंक की चलनिधि समायोजना सुविधा (एलएएफ) का इस्तेमाल कर रहे हैं और हर दिन सवा लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम रेपो के तहत 6.25 फीसदी सालाना की ब्याज दर पर उठा रहे हैं।

रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक बैंकों की कुल जमाराशि 17 दिसंबर 2010 को खत्म पखवाड़े में 47,99,788 करोड़ रुपए रही है। यह 3 दिसंबर को खत्म पखवाड़े की जमाराशि 48,37,906 करोड़ रुपए से 38,117 करोड़ रुपए कम है। इससे पहले 19 नवंबर से 3 दिसंबर के पखवाड़े में बैंकों की जमाराशि में 11,700 करोड़ रुपए की कमी आई थी। इस तरह करीब महीने भर में बैंकों की जमाराशि में कुल 49,817 करोड़ रुपए की कमी आ गई है।

नोट करने की बात यह है कि जमाराशि में ज्यादा कमी डिमांड डिपॉजिट यानी बचत व चालू खाते की राशि में आ रही है। 3 दिसंबर के पखवाड़े में यह कमी 35,284 करोड़ रुपए की थी, जबकि 17 दिसंबर के पखवाड़े में यह कमी 16,345 करोड़ रुपए की है। लेकिन इसी दौरान बैंकों की टाइम डिपॉजिट या एफडी वगैरह में जमा राशि 1813 करोड़ रुपए बढ़ गई है। असल में 17 दिसंबर के पखवाड़े में टाइम डिपॉजिट में 21772 करोड़ रुपए की कमी आई है, लेकिन 3 दिसंबर को खत्म पखवाड़े में इसमें 23,585 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है।

जानकारों के मुताबिक इससे दो बातें साफ होती हैं। एक तो यह है कि मुद्रास्फीति का असर लोगों पर पड़ रहा है और वे बचत व चालू खातों से रकम निकाल रहे हैं। दूसरी बात यह है कि बैंकों की तरफ से एफडी पर ब्याज बढ़ाने का भी खास असर नहीं पड़ रहा है क्योंकि जहां 3 दिसंबर तक लोगों ने सावधि जमा में निवेश बढ़ाया था, वहीं इसके बाद के पखवाड़े में घटा दिया। बैंकों की जमा में आ रही कमी पर रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव भी हाल में चिंता जता चुके हैं, जब उन्होंने कहा था कि बैकों को अपनी जमा पर ज्यादा ब्याज देना चाहिए।

दूसरी तरफ औद्योगिक गतिविधियों में आई तेजी के कारण बैंक ज्यादा कर्ज दे रहे हैं। 3 दिसंबर के पखवाड़े में बैंकों द्वारा दिए गए कर्ज की मात्रा 36,499 करोड़ रुपए बढ़ी थी। फिर इसके बाद 17 दिसंबर तक पखवाड़े में इसमें 45,307 करोड़ रुपए की वृद्धि हो गई। 3 दिसंबर को बैंकों द्वारा दिया गया कुल ऋण 35,94,559 करोड़ रुपए का था, जबकि 17 दिसंबर को यह आंकड़ा 36,39,866 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। इस तरह करीब महीने भर में बैंकों द्वारा दिया गया ऋण 81,806 करोड़ रुपए बढ गया है।

बैंकों के ऋण (एसेट या आस्तियों) और जमा (लायबिलिटी या देयता) में यह फासला 1,31,623 करोड़ रुपए का है क्योंकि जमा में 49,817 करोड़ की कमी के बावजूद उन्होंने 81,806 करोड़ का ऋण अधिक दिया है। इन्हें जोड़ देने पर उक्त राशि निकलती है। बैंक इसकी भरपाई रिजर्व बैंक से रेपो के तहत लिए गए उधार से कर रहे हैं। जैसे, आज, बुधवार को ही उन्होंने रिजर्व बैंक से 1,30,980 करोड़ रुपए उधार लिए हैं। इस हफ्ते सोमवार को उन्होंने रिजर्व बैंक से 1,20,570 करोड़ और मंगलवार को 1,25,275 करोड़ रुपए उधार लिए थे। यह दिखाता है कि बैंक इस समय किस तरह का तरलता संकट या लिक्विडिटी की तंगी झेल रहे हैं।

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