बालकृष्ण ने दी है बाजार को शिकस्त

साल भर पहले बीएसई सेंसेक्स 18,600 पर था और बालकृष्ण इंडस्ट्रीज का दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 710 रुपए पर। तब से लेकर अब तक सेंसेक्स 9.56 फीसदी गिरकर 16,821 पर आ चुका है, जबकि बालकृष्ण इंडस्ट्रीज 21.76 फीसदी बढ़कर 864.50 (172.90 X 5) पर पहुंच चुका है। हमने 3 सितंबर 2010 को पहली बार इस कंपनी में निवेश की सलाह दी थी और यह निवेश बाजार के गिरने के बावजूद साल भर में 21 फीसदी रिटर्न दे रहा है तो काफी है। असल में शेयरों में निवेश से औसतन इतने ही रिटर्न की अपेक्षा करनी चाहिए। बाकी तो लग गया तो तीर, नहीं तो तुक्का।

अगर बालकृष्ण इंडस्ट्रीज के शेयर (बीएसई – 502355, एनएसई – BALKRISIND) ने बाजार को आउट-परफॉर्म किया है तो महज इसीलिए कि कंपनी में दम है और बाजार ने उसके दम को स्वीकार भी किया है। इसलिए लगता है कि पस्ती से भरे बाजार में बालकृष्ण पर दांव लगाना सुरक्षित और लाभकारी होगा। पिछले साल 21 दिसंबर 2010 से उसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर दो रुपए अंकित मूल्य के पांच शेयरों में स्प्लिट किया जा चुका है। शुक्रवार, 2 सितंबर 2011 को इसका शेयर बीएसई में 172.90 रुपए और एनएसई में 172.15 रुपए पर बंद हुआ है।

इसका ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 20.42 रुपए है। इस तरह उसका शेयर अभी 8.47 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। उसने महीने भर पहले ही 2 अगस्त को 186.45 रुपए का शिखर बनाया है, जबकि उसका 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर 109.65 रुपए है जहां तक वह इसी साल 25 जनवरी को गिर गया था। इस स्टॉक की चाल एक बात साफ करती है कि मजबूत कंपनी हो तो उसके शेयर के गिरने से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि वह किसी न किसी दिन निवेश पर अच्छा रिटर्न देती ही है। जनवरी में जिन लोगों ने घबराकर इसे बेच दिया होगा, आज वे निश्चित रूप से घबरा रहे होंगे।

वैसे तो शेयरों की मूल प्रकृति ही यही है कि उनके भावों का सटीक अनुमान कोई भी, कभी भी नहीं लगा सकता। अनिश्चितता का तत्व हमेशा उसमें रहता है। शेयरों में निवेश के वक्त हमें इस तत्व को स्वीकार करके चलना चाहिए। बालकृष्ण इंडस्ट्रीज के बारे में जानकारों का कहना है कि इसके स्टॉक में अब भी काफी दम है और इस पर अच्छा रिटर्न मिल सकता है। हालांकि अभी इसके गिरकर 145 रुपए के आसपास तक आने का इंतजार करना चाहिए।

सियाराम पोद्दार समूह की यह कंपनी खास इस्तेमाल वाले न्यूमेटिक टायर बनानेवाली देश की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार है। वह टायरों के अलावा कागज व टेक्सटाइल प्रोसेसिंग में भी सक्रिय है। टायरों में भी वह ऑफ-हाईवे श्रेणी के भारी-भरकम टायर बनाती है जो कृषि से लेकर कंस्ट्रक्शन व माइनिंग के काम में क्रेन, डंप ट्रक, लोडर व ट्रैलर जैसे उपकरणों में लगते हैं। खास बात यह भी है कि कंपनी अपने धंधे का तकरीबन 90 फीसदी हिस्सा निर्यात से हासिल करती है। वैसे तो ऑफ-हाईवे टायरों की दुनिया में ब्रिजस्टोन, गुडइयर व मिशेलिन जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों का बोलबाला है। लेकिन बालकृष्ण इंडस्ट्रीज सस्ते श्रम व कम उत्पादन लागत के बल पर इन टायरों को लगभग 30 फीसदी कम दाम पर बेच पा रही है। इसलिए वह बाजार में अपनी पैठ बढ़ाती जा रही है।

पिछली चार तिमाहियों में कंपनी की बिक्री औसतन 42 फीसदी की दर से बढ़ी है। 12 अगस्त को घोषित नतीजों के अनुसार जून 2011 की तिमाही में उसकी बिक्री साल भर पहले की समान अवधि की अपेक्षा 27.5 फीसदी बढ़कर 456.03 करोड़ से 581.43 करोड़ रुपए हो गई है, जबकि शुद्ध लाभ 26.5 फीसदी बढ़कर 44.37 करोड़ से 56.11 करोड़ रुपए हो गया है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी ने 1996.94 करोड़ रुपए की बिक्री पर 185.66 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था।

कंपनी की चुकता पूंजी 19.33 करोड़ रुपए है जो दो रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में बंटी है। इसका 54.37 फीसदी प्रवर्तकों और बाकी 45.63 फीसदी पब्लिक के पास है। पब्लिक के हिस्से में से 16.60 फीसदी शेयर एफआईआई और 14.34 फीसदी शेयर डीआईआई के पास हैं। इस तरह वास्तव में पब्लिक के पास केवल 14.69 फीसदी शेयर ही बचते हैं। कंपनी के शेयरधारकों की कुल संख्या मात्र 7147 है। इनमें से 6407 छोटे निवेशकों (89.65 फीसदी) के पास उसके 6.73 फीसदी शेयर हैं। प्रवर्तकों से इतर कंपनी के नौ बड़े शेयरधारक हैं जिनके पास उसके 27.94 फीसदी शेयर हैं। इनमें मनोज मोदी, कोपा कबाना, एचडीएफसी म्यूचुअल फंड, आईसीआईसीआई म्यूचुअल फंड और टेम्प्लेटन ग्लोबल इनवेस्टमेंट ट्रस्ट शामिल हैं।

1 Comment

  1. यह बालकृष्ण रामदेव जी के चेले तो नहीं ?

    🙂

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *