बाजार में इस कदर आंधी आई हुई है कि बड़े-बड़े शेयर औंधे मुंह गिरे पड़े हैं। कल हर मिनट कोई न कोई स्टॉक टपक कर गिरता गया। एनडीटीवी 36.30 रुपए, बीएजी फिल्म्स 4.36 रुपए, मुक्ता आर्ट्स 30.50 रुपए, 3आई इनफोटेक 18.45 रुपए, सुज़लॉन एनर्जी 21.10 रुपए, रामसरूप इंडस्ट्रीज 7 रुपए, बारट्रॉनिक्स 42.60 रुपए, आरकॉम 69.50 रुपए, जीटीएल इंफ्रा 8.30 रुपए, इंडियाबुल्स सिक्यूरिटीज 6.79 रुपए, जेएसडब्ल्यू एनर्जी 39.35 रुपए, एसकेएस माइक्रो फाइनेंस 116.30 रुपए, मॉयल 222 रुपए व अलेम्बिक फार्मा 38.35 रुपए।
सभी अब तक के ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर। कल बीएसई में नई तलहटी पकड़ने वाली ऐसी कंपनियों की संख्या 99 रही। 52 हफ्तों का न्यूनतम स्तर बनानेवाली कंपनियों को भी गिनें तो यह संख्या कई सैकड़ा हो जाएगी। ऐसी कंपनियों में बीएचईएल, टाटा स्टील, एनटीपीसी, एसबीआई, वोल्टास, जीई शिपिंग, गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइजर, एमटेक ऑटो, राष्ट्रीय केमिकल्स, पिपावाव डिफेंस, आईसीआईसीआई बैंक और आईएफसीआई जैसे तमाम दिग्गज नाम शामिल हैं।
अब इसमें अलग से निवेश की क्या सलाह दी जाए। यह छांटने का नहीं, बटोरने का वक्त है। जिसके पास कैश हो, उसे जमीन पर गिरे शेयरों को छांट-छांट कर उठाते जाना चाहिए। बताइए! ठीक साल भर पहले आज ही के दिन 22 नवंबर 2010 को 69.75 रुपए के शिखर तक पहुंचा आईएफसीआई कल 21 नवंबर 2011 को 21.40 रुपए की घाटी तक धंस गया। बंद हुआ है बीएसई व एनएसई दोनों में ही 21.55 रुपए पर। इस शेयर की बुक वैल्यू 53.66 रुपए है। सितंबर 2011 के नतीजों को मिलाकर ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 9.71 रुपए है। यानी, शेयर मात्र 2.22 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।
खजाने से भरी गुफा में अलीबाबा को समझ में नहीं आ रहा कि कितना बटोरे, कितना ले जाएं। हर तरफ हीरे-जवाहरात की भरमार। लेकिन असली मुद्दा यही है कि क्या देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था दुरुस्त रहेगी? कहीं यूरोप अपने साथ सबको डुबो ले गया तो! कहीं अमेरिकी अर्थव्यवस्था पटरी पर आते-आते धसक गई हो!! कहीं भारत की विकासगाथा को भ्रष्टाचार का दानव निगल गया तो!!! यही अतिवाद और निराशा बाजार में इस वक्त छाई हुई है। लेकिन यह सब हकीकत नहीं, महज मनोदशा है। कहीं से कयामत नहीं बरसने वाली। सच कहें तो निराशा में डूबने के बजाय दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह खुशियां बनाने का समय है क्योंकि उन्हें शानदार स्टॉक एकदम सस्ते में मिल रहे हैं, जिनको चुनकर वे निवेश का मजबूत किला बना सकते हैं।
फिर भी कॉलम का औपचारिकता पूरी करते हुए एक स्टॉक चुनते हैं बजाज फाइनेंस। यूं तो एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों) में अपना ज्यादा यकीन नहीं है। लेकिन बजाज ऑटो समूह की यह एनबीएफसी बड़े ही पुख्ता आधार पर खड़ी है। दोपहिया वाहनों के फाइनेंस से लेकर परसनल लोन, कंस्ट्रक्शन उपकरण फाइनेंस, लघु उद्यमियों को कर्ज, सिक्यूरिटीज के एवज में लोन और होम लोन तक में सक्रिय है। रिजर्व बैंक का मानक 12 फीसदी पूंजी पर्याप्तता अनुपात का है। लेकिन बजाज फाइनेंस ने 20 फीसदी पूंजी पर्याप्तता अनुपात हासिल कर रखा है।
सितंबर 2011 को मिलाकर पिछली पांच तिमाहियों में कंपनी की आय 52 फीसदी और परिचालन लाभ 131 फीसदी की औसत दर से बढ़ा है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसने 246.96 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। उसका इक्विटी या नेटवर्थ पर रिटर्न 19.67 फीसदी है। कल जब हर तरफ कोहराम मचा हुआ था, तब इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 500034) में 0.54 फीसदी बढ़कर 650.15 रुपए और एनएसई (कोड – BAJFINANCE) में 0.05 फीसदी बढ़कर 649.55 रुपए पर बंद हुआ है। यह महीने भर में 720 रुपए से गिरकर 650 रुपए पर आया है। इसलिए महीने भर में 10 फीसदी बढ़त के लक्ष्य के साथ इसे ले लेना चाहिए।
यह लांग टर्म के लिए भी अच्छा है क्योंकि इसका शेयर अभी 7.31 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि इसी साल जनवरी 2011 में यह 31.58 के पी/ई पर चल रहा था। कंपनी लाभांश भी जबरदस्त देती रही है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 के लिए उसने दस रुपए पर दस रुपए यानी 100 फीसदी का लाभांश दिया है। बस, आज और कुछ नहीं। अगर आप भीड़ की मानसिकता से ऊपर उठकर निडर भाव से बाजार की ओर देखेंगे तो आपको खुद ही बहुत कुछ नजर आ जाएगा और यकीन मानिए कि आपकी पारखी नजरें इस बार धोखा नहीं खाएंगी क्योंकि यह कोई मरीचिका नहीं, बल्कि सच है।