यह न तो कोई बड़ी बात है और न इतनी छोटी कि इसे यूं ही चलता किया जाए। खाद्य तेलों से शुरू करके बिजली के घरेलू साजोसामान तक पहुंची और देश की तीसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी बन चुकी कंपनी विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने तय किया है कि वे अपने नाम में दर्ज कंपनी के 21.30 करोड़ शेयर ऐसे ट्रस्ट के खाते में डाल देंगे, जहां से वे खुद भी चाहें तो वापस नहीं ले सकते। इन शेयरों का ट्रांसफर अगले हफ्ते 7 दिसंबर तक हो जाएगा। हालांकि ट्रस्ट में जाने के बावजूद कंपनी में इन शेयरों से जुड़ा वोटिंग अधिकार अजीम प्रेमजी के जीवित रहने तक उनके पास ही रहेगा। प्रेमजी ने भारतीय कॉरपोरेट जगत में बनते एक रुख को रेखांकित किया है जिसमें कंपनी में सृजित किया गया मूल्य समाज के ही हवाले कर दिया जाता है उसी अंदाज में, जैसा कि गीता में कहा गया है कि, “त्वदीयं वस्तु गोविंदम् तुभ्यमेव समर्पयामि।”
विप्रो ने बुधवार को देश के दोनों स्टॉक एक्सचेंजों बीएसई व एनएसई के अलावा न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज को भी यह सूचना भेजी है। सूचना में बताया गया है कि इस ट्रस्ट का गठन बगैर किसी लाभ के मकसद से तमाम सामाजिक कामों को पूरा करने के लिए है। इसकी गतिविधियों को अगले कुछ सालों में व्यापक स्तर पर ले जाने की योजना है। हालांकि ट्रस्ट का नियंत्रण अजीम प्रेमजी के पास ही है। लेकिन अपने हिस्से के 21.30 करोड़ शेयरों को परिवार के सदस्यों को न देकर सामाजिक ट्रस्ट को दे देना परिवार-केंद्रित भारतीय कॉरपोरेट जगत में एक नई प्रवृति को स्थापित करता है।
इनका शेयरों का मूल्य ताजा बाजार भाव (415.80 रुपए) के हिसाब से लगभग 8860 करोड़ रुपए बैठता है जिसे किसी भी लिहाज से मामूली रकम नहीं कहा सकता। बता दें कि विप्रो शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य और पर्यावरण-रक्षा तक के कामों में सक्रिय है। कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत आनेवाली इन गतिविधियों के लिए वह अपने लाभ का एक अंश बराबर निकालती रहती है। कंपनी के कर्मचारियों की मौजूदा संख्या 1,08,071 है।
कंपनी की कुल इक्विटी 490.40 करोड़ रुपए है जो दो रुपए अंकित मूल्य के 245.2 करोड़ शेयरों के विभाजित है। इसका 79.36 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है। नियमतः किसी भी लिस्टेड कंपनी में प्रवर्तकों की अधिकतम हिस्सेदारी 75 फीसदी (25 फीसदी पब्लिक) ही हो सकती। इसलिए विप्रो के प्रवर्तकों को जल्दी ही एफपीओ के जरिए अपनी हिस्सेदारी लगभग 5 फीसदी कम करनी होगी। अभी पब्लिक के हिस्से के 18.97 फीसदी में से एफआईआई के पास 5.28 फीसदी और डीआईआई के पास 3.52 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के 1.68 फीसदी शेयर जीडीआर (ग्लोबल डिपॉजिटरी रसीट्स) के एवज में कस्टोडियन के पास पड़े हैं।
प्रवर्तकों के पास 79.36 फीसदी इक्विटी के रूप में कंपनी के कुल 194 करोड़ 59 लाख 53 हजार 763 शेयर हैं। इनमें से सीधे अजीम प्रेमजी के नाम 9.35 करोड़ (3.81 फीसदी) शेयर हैं। इसके अलावा अजीम प्रेमजी फाउंडेशन में 1.08 करोड़ (0.44 फीसदी) शेयर हैं। साथ ही हरशम ट्रेडर्स, प्राज़िम ट्रेडर्स और ज़ैश ट्रेडर्स के पार्टनर के बतौर अजीम प्रेमजी के पास कंपनी के 66.31 फीसदी (162.58 करोड़) शेयर हैं। अजीम प्रेमजी अगर अपने 21.30 करोड़ शेयर स्थाई रूप से किसी ट्रस्ट को दे रहे हैं तो इसका मतलब हुआ कि वे अपने हिस्से के 12.31 फीसदी शेयरों का मूल्य छोड़ रहे हैं। कंपनी कुल शेयरों की बात करें तो उसका 8.68 फीसदी हिस्सा ट्रस्ट के हवाले कर रहे हैं।