बचपन में मां एक पहेली पूछा करती थी। गुरु गुरुआइन नब्बे चेला, तीन गो रोटी में कैसे होला? हम लोग नहीं बता पाते तो मां बताती कि असल में चेले का नाम ही नब्बे था। इस बार के बजट में वित्त मंत्री नम्मो ताई ने भी कुछ ऐसी ही पहेली पूछ ली है, जिसका कोई जवाब नहीं सूझ रहा। उन्होंने ऐसा प्रावधान किया है जिससे 12 लाख रुपए तक सालाना आय वालों को कोई इनकम टैक्स नहींऔरऔर भी

हमेशा ध्यान रखें कि जिन भी 15-20-25 कंपनियों में निवेश कर रखा है, उनमें या दूसरे शब्दों में पोर्टफोलियो में कोई कमज़ोर कंपनी न हो। फिर बाज़ार कितना भी गिरता जाए, चिंता की बात नहीं। मूलभूत रूप से मजबूत कंपनियों के शेयर गिर जाएं तो उन्हें और ज्यादा खरीदते जाएं। गिरते बाज़ार का लाभ उठाने का यही तरीका है। गिरावट के माहौल में घबराकर बेचने लगे तो भविष्य में बहुत पछताएंगे। सोशल मीडिया के ‘विद्वानों’ को ज़रा-सीऔरऔर भी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करते हुए ऐलान कर दिया कि अब नई कर व्यवस्था के तहत साल भर में 12 लाख रुपए तक (यानी महीने में औसतन एक लाख रुपए) की आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगेगा। यह रकम नौकरीपेशा करदाता के लिए 75,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन जोड़कर 12.75 लाख रुपए हो जाती है। इसके बाद लोकसभा से लेकर मीडिया तक तालियों की बौछार होने लगी। वित्तऔरऔर भी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट में रोते रुपए और बिलखती अर्थव्यवस्था से जुड़े बहुत सारे सवालों का जवाब देना होगा। वे बताएं कि 1991 में शुरू आर्थिक उदारीकरण के 34 साल बाद भी निजी क्षेत्र हाथ पर हाथ रखकर क्यों बैठा है और विदेशी निवेश 12 साल के न्यूनतम स्तर पर क्यों आ गया है? देश के विकास का दारोमदार अब भी सरकार के रहमोकरम पर क्यों टिका है? वित्त मंत्री यह भी बताएं कि उनकीऔरऔर भी

सरकार गिरते रुपए की धार को कुंद करने की हरचंद कोशिश कर रही है। कहा जा रहा है कि डॉलर के मुकाबले भले ही रुपया कमज़ोर हो रहा हो, लेकिन उसकी वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (रीयल अफेक्टिव एक्सचेंज रेट या REER) अब तक के सर्वोच्च स्तर पर है। रीर केवल डॉलर नहीं, बल्कि दुनिया के उन 40 देशों की मुद्राओं के सापेक्ष रुपए की विनिमय दरों का भारित औसत है जिनसे हमारा लगभग 88% सालाना आयात-निर्यात होताऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने रुपए को संभालने की पुरज़ोर कोशिश की। डॉलर के मुकाबले रुपया जमकर गिरना शुरू हुआ, उससे पहले सितंबर में उसने विदेशी मुद्रा के फॉरवर्ड बाज़ार में 14.58 अरब डॉलर बेचे थे। वहीं अक्टूबर में उसने फॉरवर्ड बाज़ार में 49.18 अरब डॉलर और स्पॉट बाजार में 9.27 अरब डॉलर बेचे। बता दें कि अप्रैल 2024 में रिजर्व बैंक ने स्पॉट बाज़ार से 13.24 अरब डॉलर खरीदे थे और फॉरवर्ड बाज़ार में मात्र 54 करोड़ डॉलरऔरऔर भी