केरल में त्रिचूर की जिला उपभोक्ता अदालत ने रिलायंस समूह के प्रमुख मुकेश अंबानी के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट वापस से लिया है। यह वारंट अदालत ने एक मोबाइल फोन उपभोक्ता की याचिका पर जारी किया था और 15 फरवरी तक मुकेश को उपभोक्ता फोरम के सामने पेश होने को कहा है।
रिलायंस के वकील के एस रविशंकर ने मीडिया को बताया कि 25,000 रुपए जमा कराने के बाद उन्होंने 16 दिसंबर को जारी वारंट वापस लेने के लिए याचिका दायर की थी। इसके बाद उपभोक्ता फ़ोरम ने आदेश को वापस ले लिया।
मामला यह है कि डॉ. जोसफ़ मक्कोलिल ने 2003 में रिलायंस इंफोकॉम का मोबाइल फोन खरीदा था। रिलायंस इंफोकॉम अब रिलायंस कम्युनिकेशंस बन गई है और इसके मुखिया अनिल अंबानी है। लेकिन 2003 में इसके मुखिया मुकेश अंबानी थे। उस समय मोबाइल कम्पनी ने डॉ. जोसफ से निःशुल्क कॉल और एसएमएस करने जैसी कई सुविधाओं का वादा किया था। लेकिन उन्हें ये सुविधाएं नहीं मिली।
इस बीच मोबाइल फोन खराब हो गया। मोबाइल सेट की एक साल की वारंटी थी। लेकिन निर्माता कंपनी रिलायंस ने उसे नहीं माना। इसके बाद डॉ. जोसफ़ ने वर्ष 2005 में उपभोक्ता फ़ोरम में मुकदमा किया। पिछले साल 30 अक्टूबर 2010 में उपभोक्ता फ़ोरम ने जोसफ़ के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए रिलायंस समूह को जोसफ़ को 24,000 रुपए और पांच साल के लिए 12 फीसदी की दर से ब्याज़ मुहैया कराने का आदेश दिया। अदालत ने दो माह के भीतर भुगतान का आदेश दिया था।
अदालत के आदेश के एक साल बाद भी जब जोसफ़ को भुगतान की रकम नहीं मिली तो उन्होंने एक बार फिर अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। इस पर अदालत ने सुनवाई करते हुए अपने पहले के आदेश का पालन नहीं किए जाने की सूरत में मुकेश अंबानी के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट जारी कर दिया। अदालत ने अगले साल 15 फरवरी 2012 से पहले मुकेश को अपने समक्ष पेश होने का आदेश दिया है।