वी. अनंत नागेश्वरन ढाई साल से मौजूदा भारत सरकार या मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार है, भारत के नहीं। अगर भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार होते तो कभी ऐसी बात नहीं कहते कि, “भारत में सालाना एक लाख रुपए से कम कमानेवाले परिवारों के युवाओं की मानसिक सेहत बेहतर है जो नियमित व्यायाम करते हैं, परिवार में घनिष्ठता है और कभी-कभार ही अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खाते हैं, बनिस्बत उन युवाओं से जिनकी सालाना पारिवारिक आय 10 लाख रुपए से अधिक है, आलसी जीवन जीते हैं, जिनके परिवार आपस में कम जुड़े हैं और जो बराबर अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खाते रहते हैं।” यह उसी तरह की बात हुई जैसे राजे-महाराजे पुराने ज़माने में कहा करते थे कि झोपड़ी में रहनेवाले गरीब बड़े सुखी व खुश होते हैं। आखिर भारत का कोई मुख्य आर्थिक सलाहाकर सोच भी कैसे सकता है कि एक लाख रुपए सालाना से कम या महीने में करीब 8000 रुपए कमानेवाले परिवार का युवा अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खा या नियमित व्यायाम कर सकता होगा? पर, अनंत नागेश्वर ने ऐसा सोचा ही नहीं, बल्कि 7 सितंबर 2024 के इंडियन एक्सप्रेस में लिखा भी है। इन्हीं नागेश्वर महोदय ने इस बार की आर्थिक समीक्षा में सुझाव दिया है कि खाद्य मूल्यों को रिटेल मुद्रास्फीति से निकाल देना चाहिए और रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति में ब्याज तय करते वक्त इसके बाद बची कोर मुद्रास्फीति को ही देखना चाहिए। अब सोमवार का व्योम…
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