देश का मतलब सरकार नहीं होता और न ही किसी व्यक्ति को देश का पर्याय बनाया जा सकता है। अपने यहां महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और लाल बहादुर शास्त्री जैसी महान हस्तियां हुईं। लेकिन किसी ने खुद को भारत का पर्याय नहीं बताया। कांग्रेस के अध्यक्ष देवकांत बरुआ ने 1974 में ‘इंडिया इज़ इंदिरा, इंदिरा इज़ इंडिया’ का नारा दिया था। लेकिन देश ने कभी इसे स्वीकार नहीं किया और इंदिरा गांधी को सत्ता से बाहर कर दिया। आज भी मोदी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश का पर्याय बताने की कोशिशें हो रही हैं। यही नहीं, गौतम अडाणी को भारतीय अर्थव्यवस्था का पर्याय बताया जा रहा है। लेकिन अडाणी का सारा गोरखधंधा जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से ही खुल रहा है। कुछ दिन पहले ही अमेरिका की अदालत में दो साल की सघन जांच के बाद उनके खिलाफ फ्रॉड और रिश्वतखोरी के अभियोग लगे हैं। इससे सारी दुनिया में भारत के कॉरपोरेट जगत की छवि धराशाई हो गई है। पिछले ढाई-तीन दशक में टाटा समूह और इन्फोसिस जैसी कंपनियों ने जिस ब्रांड इंडिया को स्थापित किया था, अडाणी ने आज उसका सत्यानाश कर दिया है। अब सोमवार का व्योम…
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