यहां से वहां तक समुद्र। लहरों के बीच में हम। गले तक पानी। धरती नजर ही नहीं आती। कितना घबराते हैं हम! लेकिन समुद्र की बूंदें तो लहरों के साथ कुलांचे मारती हैं। हम भी तो बूंद ही हैं जन समुद्र की।
2011-03-25
यहां से वहां तक समुद्र। लहरों के बीच में हम। गले तक पानी। धरती नजर ही नहीं आती। कितना घबराते हैं हम! लेकिन समुद्र की बूंदें तो लहरों के साथ कुलांचे मारती हैं। हम भी तो बूंद ही हैं जन समुद्र की।
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