मुकेश अंबानी के नेतृत्व में रिलायंस इंडस्ट्रीज नए से नए क्षेत्रों में उतरने की कोशिश में लगी है। वित्तीय सेवाओं के बाद ताजा खबर यह है कि कंपनी सुरक्षा व आपदा प्रबंधन के व्यवसाय में उतरेगी, जिसमें 4जी टेलिकॉम सेवाओं का इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन उसके मौजूदा पेट्रोलियम व्यवसाय में सरकारी बाधाएं आ रही हैं। तेल उत्खनन क्षेत्र के नियामक हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के कृष्णा गोदावरी बेसिन के डी-6 गैस फील्ड में और खर्च की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है।
डीजीएच ने स्पष्ट किया है कि जब तक रिलायंस इंडस्ट्रीज इस क्षेत्र में और कुओं की खुदाई पर सहमत नहीं हो जाती, तब तक गैस फील्ड में अतिरिक्त खर्च की मंजूरी नहीं दी जाएगी। नियमों के तहत डीजीएच को वित्त वर्ष से पहले ही उत्खनन और उत्पादन व्यय की मंजूरी देनी होती है। लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज के मामले में नियामक ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 तक के बजट को पिछले कई महीनों से मंजूरी नहीं दी है।
समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ने सूत्रों के हवाले बताया कि रिलायंस ने पूर्वी अपतटीय क्षेत्र के केजी-डी6 ब्लॉक के लिए चालू वित्त वर्ष के प्रस्तावित व्यय बजट के साथ 2010-11 का संशोधित व्यय ब्यौरा उसे सौंपा था, लेकिन डीजीएच ने इसे नए सिरे से तैयार करने का निर्देश देते हुए वापस कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक डीजीएच चाहता है कि रिलायंस इस बजट में धीरूभाई-1 और 3 गैस क्षेत्र में दो और कुओं की खुदाई का खर्च भी शामिल करे। दूसरी तरफ कंपनी का मानना है कि अतिरिक्त कुओं की खुदाई पर खर्च करना बेकार होगा क्योंकि यह मौजूदा संसाधनों का ही उपयोग होगा।
इस बारे में रिलायंस प्रवक्ता ने कुछ भी कहने से मना कर दिया जबकि हाइड्रोकार्बन महानिदेशक ने उनकी टिप्पणी के लिए की गई फोन कॉल का कोई जवाब नहीं दिया। सूत्रों के अनुसार डीजीएच केजी डी-6 में डी-1 और डी-3 गैस क्षेत्र के बारे में रिलायंस इंडस्ट्रीज के मंजूरी-प्राप्त फील्ड डेवलपमेंट प्लान पर अडिग नहीं रहने को लेकर नाराज है। इस वजह से ही क्षेत्र से गैस उत्पादन में कमी आई है।
हालांकि, रिलायंस का कहना है कि नए कुओं की खुदाई से समस्या का हल नहीं होगा। दबाव कम होने और कुओं में पानी का बहाव बढने से गैस उत्पादन कम हुआ है। अपने दावे के समर्थन में कंपनी ने सभी तकनीकी आंकड़े भी उपलब्ध कराए हैं।